China Turkey Controversy: उइगर मुसलमानों के मुद्दे पर चीन और तुर्की फिर से आमने सामने आ गए हैं. ताजा विवाद तब बढ़ गया, जब चीन ने तुर्की के राजदूत को शिनझियांग प्रांत का दौरा करने से मना कर दिया. आरोप है कि चीन ने शिनझियांग प्रांत में कई डिटेंशन सेंटर बना रखे हैं, जहां उइगर मुसलमानों पर जुल्म ढाया जाता है. 


सितंबर 2022 में, संयुक्त राष्ट्र ने चीन में धार्मिक उइगर मुसलमानों और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन पर एक रिपोर्ट जारी की थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन के झिंजियांग क्षेत्र में 2017 से 2019 तक बड़े पैमाने पर उइगर मुसलमानों को हिरासत में लिया गया और उन्हें यातना दी गई. महिलाओं के साथ यौन हिंसा और जबरन श्रम कराने के साथ-साथ उनका जबरन गर्भपात और नसबंदी तक कराई गई थी. 


इनसाइडओवर में फेडेरिको गिउलिआनी की रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्की ने पहली बार चीन द्वारा अपने उइगर अल्पसंख्यक मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आलोचना की, जिसके बाद अंकारा के इस समर्थन पर चीन ने गहरी नाराजगी जताई है. इसके साथ ही उसने तुर्की के साथ चल रही अपनी एक परियोजना को रोक दिया. 


तुर्की के विदेश मंत्री ने कहा 


बता दें कि 29 दिसंबर, 2022 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तुर्की के विदेश मंत्री कैवुसोग्लू ने कहा कि इंटरनेशनल एरिया में तुर्क उइगरों के अधिकारों का बचाव करना चीन को परेशान करता है. लेकिन यह एक मानवीय मुद्दा है. उन्होंने कहा कि अंकारा द्वारा उइगरों के लिए प्रत्यर्पण अनुरोध देने से इनकार करने से चीन चिढ़ गया था, जो तुर्की के नागरिक थे और तुर्की में बस गए थे. 


रिपोर्ट में कहा गया था कि आतंकवाद और उग्रवाद से लड़ने के लिए चीन की नीतियों के तहत उइगर और अन्य मुसलमानों के खिलाफ चीनी सरकार द्वारा मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन किया जा रहा है. इस रिपोर्ट के आधार पर तुर्की के विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा था कि तुर्की चीन के साथ पारदर्शी तरीके से सहयोग करना चाहता है, लेकिन चीनी अधिकारियों ने बीजिंग में उसके राजदूत को उस क्षेत्र में जाने की अनुमति नहीं दी, जहां उइगर मुसलमान रहते हैं. जिससे पारदर्शिता नहीं बन पा रही है  


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