China Taiwan Conflict: ताइवान की सत्ताधारी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के विलियम लाई चिंग-ते ने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है. उन्हें चीन का कट्टर विरोधी माना जाता है.  लाई  और उनकी पार्टी हमेशा से ताइवान की अलग पहचान की वकालत करती है. ऐसे में लाई के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद चीन और ताइवान के बीच तनाव और बढ़ सकता है. 


गौरतलब है कि 64 वर्षीय लाई 23 मिलियन की आबादी वाले द्वीप पर शनिवार को हुए चुनाव में विजयी हुए थे. उनकी जीत के बाद चीन ने कहा कि डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DPP) जनता की आम राय का प्रतिनिधित्व नहीं करती और चाहे जो भी जीता हो, इससे चीन के री-यूनिफ़िकेशन पर कोई असर नहीं पड़ेगा.


लाई की पार्टी को चीन मानता है अलगाववादी


मालूम हो कि लाई अलग ताइवान पहचान के समर्थक रहे हैं और चीन के साथ एकीकरण के मुखर-विरोधी हैं. चीन की बजाय वो अमेरिका से क़रीबी बढ़ाने के पक्षधर हैं. यही वजह है कि चीन उनकी पार्टी को भी अलगाववादी मानता है. इतना ही नहीं, साल 2017 के एक बयान के बाद से ही चीन लाई को अपना कट्टर दुश्मन मानता है. दरअलस, लाई ने ख़ुद को ताइवान की आज़ादी का कार्यकर्ता बता दिया था. जिसपर चीन भड़क गया था. चीन इससे पहले भी कई बार कह सकता है कि ताइवान की आज़ादी की दिशा में लिए गए किसी भी क़दम का मतलब जंग है.


चीन के मुखर विरोधी हैं लाई 


शनिवार को चुनाव जीतने के बाद भी लाइ ने अपने अपने समर्थकों का सामना करते हुए, कसम खाई कि ताइवान "दुनिया भर के लोकतंत्रों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना जारी रखेगा." इसके साथ ही लाई ने द्वीप की रक्षा और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की कसम खाई है, जो चीन के साथ व्यापार पर काफी हद तक निर्भर है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग ने बार-बार न केवल डीपीपी की आलोचना की है, बल्कि लाई पर भी कई बार व्यक्तिगत हमले किए हैं. इससे पहले ताइवान के उपराष्ट्रपति के रूप में, लाई ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ताइवान के हितों को बढ़ावा देने में मदद की.


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