बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले में एक अल्पसंख्यक हिंदू नागरिक 25 वर्षीय दीपु चंद्र दास को एक कट्टर भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला है. कट्टरवादी सोच वाली भीड़ ने दास को पेड़ में लटकाकर पहले खूब मारा और फिर आग के हवाले कर दिया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. वहीं, बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने इस घटना के एक अन्य वीडियो का हवाला देते हुए दावा किया है कि दास की मॉब लिंचिंग में पुलिस की भूमिका भी हो सकती है. दरअसल, दीपु चंद्र दास की मौत से पहले का एक वीडियो सामने आया, जिसमें दीपु को कुछ लोगों से बातचीत करते हुए देखा जा सकता है. इस वीडियो में लोग नीले रंग के फुल-स्लीव स्वेटशर्ट और पैंट पहने और दीपु नंगे पांव बैठकर उन्हें कुछ समझाते हुए नजर आ रहा है. यह घटना बांग्लादेश की राजधानी ढाका से काफी दूर हुई, जहां भारत-विरोधी नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के विरोध में हिंसक प्रदर्शनकारियों ने आगजनी की गई. वहीं, निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने अपने बचपन में झेले गए यौन उत्पीड़न और धार्मिक दमन के अनुभवों का जिक्र करते हुए एक घटनाक्रम की एक श्रृंखला शेयर की. 

Continues below advertisement

एक्स प्लेटफॉर्म पर नसरीन ने क्या कहा?

नसरीन ने शनिवार (20 दिसंबर, 2025) की सुबह चार बजे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो पोस्ट शेयर किया. पोस्ट में उन्होंने कहा, “दीपु चंद्र दास मयमनसिंह जिले के भालुका में एक फैक्ट्री में काम करता था. वह एक गरीब मजदूर था. एक दिन उसका एक मुस्लिम सहकर्मी किसी बात पर उसे सजा देना चाहता था, इसलिए उसने भीड़ के बीच यह घोषणा कर दी कि दीपु ने पैगंबर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की है. इतना कहते ही कट्टरवादी भीड़ दीपु के ऊपर लकड़बग्घों की तरह उस टूट पड़े और उसे बड़ी बेरहमी से हाथ-पैर बांधकर पीटा. जिसके बाद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया यानी उस वक्त दीपु पुलिस क सुरक्षा में था.”

Continues below advertisement

दीपु ने पुलिस को सबकुछ बताया- तस्लीमा नसरीन

उन्होंने कहा, “दीपु ने पुलिस को बताया कि क्या हुआ था. उसने कहा कि वह पूरी तरह से निर्दोष है, उसने पैगंबर के बारे में कोई अपमानजनक टिप्पणी नहीं की और ये सब उसके एक सहकर्मी की साजिश थी, लेकिन पुलिस ने उस सहकर्मी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.” नसरीन ने आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस के कई लोग भी जिहाद के प्रति लगाव रखते हैं.

पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए तस्लीमा नसरीन ने कहा कि क्या इस जिहादी उन्माद में उन्होंने दीपु को फिर से उन कट्टरपंथियों के हवाले कर दिया? या फिर जिहादी आतंकवादियों ने पुलिस को धक्का देकर थाने से दीपु को बाहर निकाल लिया? उन्होंने दीपु को पीटा, उसे फांसी पर लटकाया और उसे जलाया. यह एक जिहादी जश्न था.”

यह भी पढ़ेंः US ने सीरिया में चलाया ‘ऑपरेशन हॉकआई स्ट्राइक’, IS के 70 ठिकानों पर किया बड़ा हमला