Balochistan Liberation Army Attack: पाकिस्तानी सेना के जवानों को अपने मुल्क के आतंकियों से तो जूझना पड़ ही रहा है, उसके लिए बलूचिस्तान के इलाकों के संगठन भी चुनौती बन गए हैं. बलूचिस्तान की आजादी का आंदोलन छेड़ने वाली बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने एक बार फिर पाकिस्तानी सैनिकों (Pakistan Army) को मौत के घाट उतारने की जिम्मेदारी ली है.


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना पर हुए हमले में उसके दो कमांडर्स समेत कुल 11 सैनिकों की मौत हो गई है. इस हमले की जिम्मेदारी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने ली है. घटनास्थल की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जिसमें पाकिस्तानी सेना का क्षतिग्रस्त वाहन नजर आ रहा है. बताया जा रहा है कि उसी वाहन पर पाकिस्तानी सैनिक सवार थे. उनके काफिले को घेरकर हमला किया गया. हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है, जब किसी एक हमले में इतनी बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सैनिक मारे गए हों.


बलूचिस्तान में मारे गए पाकिस्तानी सैनिक
पिछले साल पाकिस्तानी सेना ने अपने 10 सैनिकों के मारे जाने की बात कबूल की थी. हालांकि, यह बात वहां के एक अफसर ने मीडिया के सामने गलती से मानी. बाद में उस अफसर को बर्खास्त कर दिया गया था. इसी तरह अब एक बार फिर पाकिस्तानी सेना ने अपने सैनिकों की हत्या की बात नकारी है. पाकिस्तानी सेना, हुकूमत या ISI की तरफ से अब तक हालिया घटना पर कुछ नहीं कहा गया. पाकिस्तानी सेना के किसी सोशल मीडिया हैंडिल पर भी अपने जवानों की शहादत की कोई पोस्ट नहीं आई है.


सिंधुदेश रिवोल्यूशनरी आर्मी ने भी बढ़ाई मुश्किलें
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी की तरह ही पाकिस्तान में सिंधुदेश रिवोल्यूशनरी आर्मी भी आजादी के लिए आंदोलन कर रही है. पाकिस्तानी मीडिया आई खबरों के अनुसार, सिंधुदेश रिवॉल्युशनरी आर्मी को बलूच विद्रोहियों से अलग अपने छोटे हमलों के लिए जाना जाता है. इसके अलावा उसके लड़ाकों की निशाने पर पाकिस्तानी सेना के जवान भी रहे हैं. हफ्तेभर पहले ही सिंधुदेश रिवॉल्युशनरी आर्मी ने एक आईएसआई समर्थित आतंकवादी की हत्या की जिम्मेदारी ली थी, जिसकी पहचान खालिद रजा के तौर पर हुई. खालिद रजा कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी संगठन अल-बद्र का कमांडर था. वह जब भारत में था तो यहां उसने कश्मीरी युवाओं को भड़काने की साजिशें रचीं. उसके बाद वह पाकिस्तान चला गया था, जहां उसे एक शिक्षक के रूप में सम्मानित किया गया. खुफिया रिपोर्ट्स के हवाले से बताया गया कि खालिद अपनी मौत वाले दिन भी कश्मीरी युवाओं के संपर्क में था.


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