List of Authors Who Were Attacked: आमतौर पर लेखन का क्षेत्र सुरक्षित माना जाता है. ज्यादातर लोगों को लगता है कि कीबॉर्ड पर खिटपिट करना भला कैसे खतरनाक हो सकता है लेकिन कई बार लेखक या इस विधा से जुड़े लोग खुद को एक जंग में पाते हैं. खासकर, पत्रकारों पर हमले अब आम हैं. हमलावरों का शिकार बने लोगों में एक नाम अब भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक और अमेरिकी नागरिक सलमान रुश्दी (Salman Rushdie) का भी जुड़ गया है. रुश्दी को जान से मार देने की धमकियां पहले से मिल रही हैं.


ईरान ने अस्सी के दशक में उनकी एक किताब के सैटेनिक वर्सेज (The Satanic Verses) पर ईशनिंदा का आरोप लगाकर लेखक को जान से मारने के लिए फतवा जारी कर दिया था. यही नहीं, ईरान ने रुश्दी के सिर तीन मिलियन अमेरिकी डॉलर का इनाम भी रख दिया था.


अपनी एक किताब मिडनाइट्स चिल्ड्रेन (Midnight's Children) के लिए बुकर प्राइज (Booker Prize) जीत चुके और इंग्लैड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय (Queen Elizabeth II) से सर (Sir) की उपाधी हासिल कर चुके सलमान रुश्दी पर हुए जानलेवा हमले को लेकर पूरा विश्व हैरान है. देश-विदेश, हर ओर से हमले की निंदा की जा रही है. रुश्दी से पहले भी कई कलमकारों पर जानलेवा हमले हुए हैं. अगर ये लेखक अपनी किताबें नहीं लिखते तो लंबा जीते. आइये जानते हैं कि कौन कैसे हमलावरों का शिकार हो गया.


अन्ना पोलिटकोसकाया (Anna Politkovskaya)


30 अगस्त 1958 को न्यूयॉर्क में जन्मीं अन्ना पोलिटकोसकाया रूसी पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता थीं. दूसरे चेचेन युद्ध में उन्होंने रूस में राजनीतिक घटनाक्रमों की रिपोर्टिंग की थी. चेचेन्या में रिपोर्टिंग के लिए उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन पर अन्ना पोलिटकोसकाया की हत्या करवाने का आरोप लगता है क्योंकि वह पुतिन प्रशासन की खामियों के खिलाफ खुलकर बोलती थीं. पुतिन के जन्मदिन के मौके पर यानी 7 अक्टूबर 2006 को पोलिटकोसकाया की लाश एक एलिवेटर में मिली थी. उनकी गोली मारकर हत्या की गई थी. इससे पहले उन्हें नौ बार जान से मारने की कोशिश की गई थी. एक बार उन्हें जहर भी दिया गया था. पांच लोगों को अन्ना की मौत का दोषी पाया गया था. अपराधियों ने यह नहीं बताया था कि उन्होंने किसके कहने पर वारदात को अंजाम दिया.


ह्यूगो बेटावर (Hugo Bettauer) 


18 अगस्त 1872 को ऑस्ट्रिया के बाडेन में जन्मे मैक्सिमिलियन ह्यूगो बेटावर प्रख्यात ऑस्ट्रियाई लेखक और पत्रकार थे. उन पर यहूदी विरोध का आरोप लगा था. नाजी पार्टी के एक अनुयायी ने 26 मार्च 1925 को उनकी हत्या कर दी थी. कम्युनिस्ट होने और युवाओं को भ्रष्ट करने का आरोप झेल रहे बेटावर को नाजी पार्टी के एक युवा कार्यकर्ता ओट्टो रोथस्टोक ने गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था. पार्टी ने कातिल के बचाव में कहा था कि वह जर्मनी की संस्कृति बचाने के लिए वारदात को अंजाम दिया है. हमलावर को पागल करार देते हुए दोषी घोषित नहीं किया गया था. उसे एक पागलखाने में रखा गया था और दो साल से कम समय में रिहा कर दिया गया था. 


जॉर्डानो ब्रूनो (Giordano Bruno)


जॉर्डानो ब्रूनो एक इटैलियन दार्शनिक, गणितज्ञ, कवि, सिद्धांतकार और लेखक थे. इटली के नोला में 1548 को जन्मे ब्रूनो चर्च के रूढ़िवाद पर खुलकर लिखते थे. चर्च उन्हें विधर्मी मानता था. उन्हें लंबे समय तक कैद रखा गया था और चर्च के हिसाब नहीं चलने पर बेहद दर्दनाक मौत दी गई थी. उन्हें जिंदा जलाकर मार डाला गया था. रोम के कैंटो डी फ्लोरी में 17 फरवरी 1600 को उनकी मौत हो गई थी. जॉर्डानो ब्रूनो पहले खगोलशास्त्री थे जिन्होंने दावा किया था कि तारे केवल दूरी वाले सूर्य हैं.


आइजैक इमेनुएललोविच बेबिल (Isaac Emmanuilovich Babel)


आइजैक इमेनुएललोविच बेबिल 13 जुलाई 1894 को यूक्रेन के ओडेसा में जन्मे थे. वह रूसी लेखक, पत्रकार, नाटककार और साहित्यिक अनुवादक थे. रेड कैवेलरी और ओडेसा स्टोरीज किताबों के लिए उन्हें रूसी यहूदियों के सहबे महान महान गद्य लेखक माना गया. उन्होंने एक नाटक मारिया लिखा, जिसमें सोवियत संघ के राष्ट्राध्यक्ष जोसेफ स्टालिन की आलोचना आधिकारिक भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए की गई थी. नाटक की रिहर्सल के दौरान ही इसे बंद कर दिया गया था और कुछ वर्षों के बाद बेबिल को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें गैर-व्यक्ति घोषित कर 27 जनवरी 1940 को गोली मार दी गई और उनकी लाश को एक सांप्रदायिक कब्र में फेंक दिया गया था. 


हितोशी इगाराशी (Hitoshi Igarashi)


हितोशी इगारशी ने सलमान रुश्दी के उपन्यास द सैटेनिक वर्सेज का जापानी में अनुवाद किया था. इगाराशि अरबी-फारसी साहित्य और इतिहास के एक जापानी विद्वान थे. 10 जून 1947 को जापान में जन्मे हितोशी इगाराशी की उनके ही देश में 12 जुलाई 1991 को चाकू घोंपकर हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या के पीछे ईरान के दिवंगत नेता अयातुल्लाह रूहोल्लाह खुमैनी का नाम आया था, जिसने अस्सी के दशक में सलमान रुश्दी के खिलाफ मौत का फतवा जारी किया था. फतवे में कम से कम एक शिकार का दावा किया गया था. इगाराशी के हत्या के जुर्म में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई थी. खुमैनी ने इगाराशी की हत्या करवाई या नहीं, यह कारण अज्ञात रहा था लेकिन लोगों को शक था कि वारदात के पीछे उसी का हाथ था.


भारत में लेखकों पर हमले



  • मार्च 2017 को भारत में कन्नड़ लेखक योगेश मास्टर के ऊपर स्याही से हमला किया गया था. योगेश पर हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ लिखने का आरोप लगा था. उनके उपन्यास 'दुंधी' के लेकर हिंदू सगठनों के कार्यकर्ताओं ने उन पर काली स्याही फेंक दी थी. 

  • इससे पहले प्रोफेशर नरेंद्र नायक को तीन साल से धमकियां मिल रही थीं. पत्रकारिता की स्टूडेंट और युवा दलित लेखक चेतना तीर्थाहल्ली को ने 2015 में एक बीफ खाने का समर्थन करने पर रेप और जान से मारने की धमकी मिली थी. 

  • जाति व्यवस्था के खिलाफ बोलने और हिंदू धर्म के नाम पर हिंसा को कायम रखने के आरोप में हचंगी प्रसाद नाम के लेखक पर हमला किया गया था. 

  • लेखक केएस भगवान को जाति व्यवस्था को लेकर तर्क, वैज्ञानिक सोच रखने और सामाजिक सुधार के लिए साहसपूर्वक खड़े होने के लिए वर्षों तक जान से मारने की धमकियां मिलती रहीं.

  • एक नाम हम्पी में कन्नड़ विश्वविद्यालय के कुलपति और हिंदू धर्म में मूर्तिपूजा के खिलाफ मुखर आवाज रखने वाले प्रोफेसर एमएम कलबुर्गी का है, जिनकी उनके ही घर में ही दक्षिणपंथी समूह के दो सदस्यों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके अलावा भी कई लेखक और पत्रकार हैं जिन्हें उनके लेखन और अभिव्यक्ति को लेकर आए दिन धमकियां मिलती रहती हैं.


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