Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान में तालिबान का विरोध अब तेज हो रहा है. देश में अफगानी नागरिक हाथों में झंडा लिए तालिबान का विरोध कर रहे हैं. कल स्वतंत्रता दिवस रैली में राष्ट्रीय ध्वज लहराने पर तालिबान लड़ाकों ने भीड़ पर गोली चला दी, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई. ऐसे ही एक विरोध के खिलाफ एक दिन पहले ही तालिबान की ओर से गोलीबारी में तीन नागरिकों की मौत हो गई थी. अफगानिस्तान 19 अगस्त को ब्रिटिश नियंत्रण से अपनी स्वतंत्रता का जश्न मनाता है. जानिए अफगानिस्तान में कहां-कहां विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.


असदाबाद शहर में बड़ा विरोध प्रदर्शन


तालिबान की ओर से 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा करने के बाद से असदाबाद शहर में एक बड़ा विरोध प्रदर्शन देखने को मिला, जिसमें सफेद तालिबान के झंडे फाड़े गए. यह प्रदर्शन एक बार फिर से देश की सत्ता पर कब्जा करने वाले तालिबान के विरोध में उठने वाले पहले स्वर के तौर पर भी देखा जा सकता है.


प्रदर्शनकारियों ने काबुल में लहराया राष्ट्रीय ध्वज


वहीं, महिलाओं सहित सैकड़ों प्रदर्शनकारी काबुल में राष्ट्रीय ध्वज लहराते हुए और 'हमारा झंडा, हमारी पहचान' के नारे लगाते हुए एकत्र हुए. तालिबान लड़ाकों ने भीड़ को तितर-बितर करने के प्रयास में कुछ प्रदर्शनकारियों को घेर लिया और उन्होंने चिल्लाते हुए हवा में राउंड फायरिंग की.


अब्दुल हक स्क्वायर पर एक प्रदर्शनकारी सफेद तालिबान के झंडे को नीचे खींचने के लिए एक खंभे पर चढ़ गया और उसे उताकर काले, लाल और हरे रंग के राष्ट्रीय ध्वज लगा दिया.


जलालाबाद में तीन लोगों की मौत


जलालाबाद में राष्ट्रीय ध्वज लहरा रहे प्रदर्शनकारियों पर तालिबान लड़ाकों द्वारा की गई गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई थी. अफगानी उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह, जो अपने नेतृत्व में तालिबान के विरोध में रैली करने की कोशिश कर रहे हैं, ने विरोध प्रदर्शनों के लिए समर्थन व्यक्त किया है.


काबुल की सड़कों से महिलाएं नदारद


तालिबान द्वारा तेज और अप्रत्याशित आक्रमण के चार दिन बाद अफगानिस्तान की राजधानी की सड़कों पर कोई महिला नजर नहीं आई. काबुल के पतन के बाद उसने कई व्यवसायी महिलाओं के साथ अपना रेस्तरां बंद कर दिया. तालिबान के कब्जे के बाद से सभी शैक्षणिक केंद्र, स्कूल, विश्वविद्यालय, सरकारी भवन और निजी कार्यालय भी बंद कर दिए गए हैं.


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