नई दिल्लीः देश इस वक्त कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है. धीरे-धीरे संक्रमण की रफ्तार कम हो रही है, लेकिन अब भी खतरा बरकरार है. पिछले कई सप्ताह से देश में इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि देश में कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है. इसमें सबसे ज्यादा बच्चों के प्रभावित होने की आशंका है. इस बारे में एबीपी अनकट से बात करते हुए एम्स में वैक्सीन ट्राइल के प्रिंसिंपल इन्वेस्टिगेटर डॉ. संजय राय ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है.


बच्चों के प्रभावित होने का वैज्ञानिक आधार नहीं
डॉ. संजय राय का कहना है कि अभी तक इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है कि कोरोना की तीसरी लहर में बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. उन्होंने कहा कि देश में अब तक हुए कई सीरो सर्वे में यह बात सामने आ चुकी है कि कोरोना से बच्चे भी प्रभावित हुए हैं, लेकिन उनमें हल्के लक्षण मिले. डॉ. राय ने कहा कि किसी भी महामारी की कई लहर आ सकती हैं, लेकिन इसका असर किसी एक निश्चित उम्र के लोगों पर होगा, ऐसा कोई तथ्य नहीं है. डॉ. संजय ने कहा कि बच्चों के पैरेंट्स तीसरी लहर को लेकर काफी डरे हुए हैं. ऐसे में उन्हें डरना नहीं चाहिए. 


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विदेशी वैक्सीन का सीधे होगा इस्तेमाल
सरकार ने वैक्सीन की कमी से निपटने के लिए विदेशी वैक्सीन का भारत में टेस्ट और ट्रायल की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है. अब विदेशी वैक्सीन का सीधे इस्तेमाल किया जा सकेगा. इसके फाइजर और मॉडर्ना जैसी विदेशी वैक्सीन को फायदा मिलेगा. इन कंपनियों ने पिछले दिनों सरकार से इन नियमों में छूट की मांग की थी.


विदेशी वैक्सीन पर डॉ. संजय का नजरिया
उनका कहना है कि एशियाई देशों के मुकाबले यूरोप और अन्य महाद्वीपों में कोरोना से मृत्यु दर ज्यादा है. ऐसे में यह जरूरी नहीं है कि एक ही दवाई हर तरह की जनसंख्या पर समान रूप से काम करे. ऐसे में विदेशी वैक्सीन का ट्रायल और टेस्ट होना चाहिए, लेकिन इमरजेंसी परिस्थिति में सरकार ने कंपनियों को इससे छूट दी है. उन्होंने बताया कि इस वक्त बच्चों की वैक्सीन का एम्स में ट्रायल चल रहा है. तमाम वॉलिंटियर्स इसके लिए आगे आ रहे हैं.