नई दिल्ली/वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में रोड शो कर रहे हैं. पीएम यहां लगातार तीन दिन प्रचार करेंगे. आखिर वाराणसी में तीन दिन जोर लगाकर पीएम क्या संदेश दे रहे हैं ? सवाल ये भी उठ रहे हैं कि आखिर पीएम को अपने क्षेत्र में प्रचार के लिए इतना समय देने की जरूरत क्यों पड़ी ? क्या पीएम का अपना घर इतना कमजोर पड़ गया है कि अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए उन्हें इतना जोर लगाना पड़ रहा है ?


वाराणसी में बीजेपी के टिकटों के बंटवारे को लेकर असंतोष की खबरें आती रही हैं. खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को हस्तक्षेप कर मान मनौवल करना पड़ा. लेकिन क्या बात सिर्फ वाराणसी की है या पूरे पूर्वांचल की ? क्या पूर्वांचल के वोटरों को बीजेपी के पक्ष में करने के लिए नरेन्द्र मोदी खुद अपनी ताकत झोंक रहे हैं. ताकि अपने चेहरे के बल पर पार्टी के लिए वोट हासिल कर सकें.

उत्तरप्रदेश के चुनाव अपने आखिरी दौर में पहुंच गए हैं. लेकिन आलम ये है कि कोई भी निश्चित तौर पर नही कह पा रहा कि हवा का रूख क्या है. ऐसे में प्रधानमंत्री के इस रोड शो के राजनीतिक मायने क्या हैं ?  जानिए पांच वरिष्ठ पत्रकारों की नज़र से.

वरिष्ठ पत्रकार  कंचन गुप्ता के मुताबिक, ‘’ इसे सिर्फ वाराणसी से जोड़कर नहीं देखा जाए. प्रधानमंत्री ने जिन इलाकों को अपने रोड शो के लिए चुना है वो परंपरागत रूप से बीजेपी के वोटर वाले इलाके नहीं हैं. प्रधानमंत्री अपना दम खम दिखा रहे हैं. ऐसा नहीं है कि जिन इलाकों में वो रोड शो कर रहे हैं, वहां के सभी लोग उन्हें वोट देंगे. लेकिन इस रोड शो से मोदी एक संदेश दे रहे हैं. उन विधानसभा क्षेत्रों को जहां आज वोट पड़ रहे हैं औऱ अगले फेज में जहां वोट पड़ने वाले हैं. उन्हें अपने तरीके से बीजेपी की पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं.’’

वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही के मुताबिक,  ‘’शायद यह पहली बार है कि एक प्रधानमंत्री को अपने संसदीय क्षेत्र की विधानसभा सीटें जीतने के लिए तीन दिन बिताने पड़ रहे हैं. साफ है कि मोदी जी को भी पता है कि पांचों विधानसभा सीटों पर मुकाबला बेहद कांटे का है और वह कोई भी सियासी जोखिम नहीं उठा सकते हैं. यूपी की 403 सीटों पर बनारस की पांच सीटें भारी पड़ रही हैं. तीन दिन मैंने भी बनारस में बिताए हैं. वहां बीजेपी को एक, अपनों से ही खतरा है जो रुठ कर उदासीन घर बैठे हैं. दो, जातीय समीकरण सपा–कांग्रेस के पक्ष में दिख रहा है ( कम से कम कागजों पर ). ऐसे में मोदीजी यही उम्मीद कर रहे होंगे कि तीन दिन की चुनावी कसरत से पार्टी की सियासी सेहत सुधरेगी.’’

वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर के मुताबिक, ‘’वाराणसी में टिकटों को लेकर जिस तरह की नाराज़गी थी, उसको देखते हुए बीजेपी, पीएम नरेंद्र मोदी पर बहुत ज्यादा निर्भर है. ऐसे में अगर वाराणसी में कोई ऊंच-नीच होती है तो जाहिर तौर पर सवाल बीजेपी नेतृत्व और पीएम मोदी के नेतृत्व पर भी उठेंगे. इसलिए खुद प्रधानमंत्री यहां अपनी ताकत झौंक रहे हैं. दिलचस्प यह है कि पीएम मोदी काल भैरव के पहली बार दर्शन करने जा रहे हैं. मोदी के रोड शो का सिर्फ वाराणसी में ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वांचल पर प्रभाव पड़ेगा. चाहे वह आज का चरण हो या आने वाला आखिरी चरण हो.’’

वरिष्ठ पत्रकार पंकज झा के मुताबिक, ‘’वाराणसी में बीजेपी को तगड़ी चुनौती मिल रही है. पीएम के सामने चुनौती अपना घर बचाने की है. प्रधानमंत्री अगर अपने चुनाव क्षेत्र में बीजेपी की जीत सुनिश्चित नही कर पाते तो गलत संदेश जाएगा. वाराणसी में बीजेपी एक संकट से जूझ रही है. पार्टी के अंदर असंतोष के कारण वाराणसी को लेकर निश्चिंत नहीं हो पा रहे हैं. बीजेपी को भरोसा कि पीएम के चेहरे की बदौलत वो  इससे पार पा जाएंगे. इसीलिए प्रधानमंत्री तीन दिन तक अपने चुनाव क्षेत्र में प्रचार औऱ रैली करेंगे.’’

वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मोहन के मुताबिक, ‘’वाराणसी पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र है. उन्होंने लोकसभा में जिस तरह से चुनाव जीता है, वह अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है. वाराणसी का नहीं बल्कि पूरे पुर्वांचल पर उस लोकसभा चुनाव का असर पड़ा था. जिस तरह से कैबिनेट के कई बड़े मंत्री वाराणसी में जुटे हुए हैं, ऐसे में मामला बीजेपी की प्रतिष्ठता से ही नहीं बल्कि पीएम मोदी की प्रतिष्ठता से भी जुड़ा हुआ है.’’