कानपुर: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल ने बीते मंगलवार को उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों का बंटवारा प्रदेश के दोनों प्रभारियों के बीच कर दिया. यूपी ईस्ट प्रभारी प्रियंका गांधी को 41 लोकसभा सीटों और यूपी वेस्ट प्रभारी ज्योतिरादित्या को 39 लोकसभा सीटों का प्रभार मिला है. कानपुर बुंदेलखंड में 10 लोकसभा सीटें हैं. जिसमें से प्रियंका गांधी को 4 लोकसभा सीटों का प्रभार मिला है वही ज्योतिरादित्या सिंधिया को 6 सीटों का प्रभार मिला है. एक वक्त था कि कानपुर बुंदेलखंड कांग्रेस पार्टी का गढ़ हुआ करता था. लेकिन 2014 के लोकसभा के बाद से यह बीजेपी का सबसे मजबूत किला बन गया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्या सिंधिया के लिए यह कानपुर बुंदेलखंड का किला भेदना चुनौती पूर्ण काम होगा.


कानपुर बुंदेलखंड की झांसी ,हमीरपुर, बांदा, जालौन की लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी को सौंपी गई है. वहीं ज्योतिरादित्या सिंधिया को कानपुर, अकबरपुर, कन्नौज, फर्रुखाबाद, इटावा, मिश्रिख लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी सौंपी गई है. कानपुर बुंदेलखंड की इटावा, कन्नौज, फर्रुखाबाद, कानपुर, झांसी लोकसभा सीटें हमेशा से वीआईपी सीटों की श्रेणी में रही हैं.


अगर 2014 के लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो मोदी लहर में कानपुर बुंदेलखंड की 10 लोकसभा सीटों में से 09 सीटों पर बीजेपी का कमल खिला था. कन्नौज की एक मात्र सीट सपा के हाथ लगी थी जिस पर अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव ने किसी तरह से जीत हासिल कर पाई थीं. इसी तरह 2017 के विधानसभा चुनाव में कानपुर बुंदेलखंड की 52 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें बीजेपी के पास है. इसलिए कानपुर बुंदेलखंड को बीजेपी का सबसे मजबूत किला कहा जाता है. बीजेपी ने अपने इस किले की घेराबंदी भी जबर्दस्त तरीके से की है.


जातीय फैक्टर के आधार पर हुआ सीटों का बंटवारा


कानपुर बुंदेलखंड की हमीरपुर, बांदा, झांसी, जालौन लोकसभा सीटे प्रियंका गांधी को मिली है. यह सभी लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां पर ब्राह्मण, मुस्लिम और क्षत्रिय वोटरों के साथ ही साथ ओबीसी वोटरों की संख्या सबसे अधिक है. आगर प्रियंका गांधी ब्राह्मण वोटरों में सेंध लगाने में कामयाब हो गईं तो यह सीटे जीतने में कामयाब हो सकती है. रही बात मुस्लिम वोटरों की तो कांग्रेस के खाते में जाना तय मानी जा रही है.


ज्योतिरादित्या सिंधिया को कानपुर बुंदेलखंड की इटावा, कानपुर, अकबरपुर, कन्नौज, फर्रुखाबाद, मिश्रिख जैसी लोकसभा सीटों का प्रभार है. यह सभी लोकसभा सीट क्षेत्रीय बहुल है कांग्रेस पार्टी ज्योतिरादित्या सिंधिया की मदद से क्षत्रिय वोटरों को अपने पाले में लाने का प्रयास किया जा रहा है. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले कानपुर, फर्रुखाबाद, अकबरपुर, झांसी की लोकसभा सीटे कांग्रेस के खाते में थीं.


2009 की मनमोहन सरकार में कानपुर बुंदेलखंड से तीन केंद्रीय मंत्री थे. झांसी से आदित्य जैन, फर्रुखाबाद से सलमान खुर्शीद और कानपुर से श्रीप्रकाश जायसवाल. अब देखने वाली बात यह होगी कि कानपुर बुंदेलखंड के वोटर को प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्या सिंधिया कांग्रेस का वोटर बनाने में कामयाब हो पाएंगे या नहीं.