पटना: आरजेडी ने केंद्र की एनडीए सरकार पर आरएसएस के एजेंडा को लागू करने के लिए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के बीच दरार पैदा करने की कोशिश करने का मंगलवार को आरोप लगाया. आरजेडी के शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की. उन्होंने जाति आधारित जनगणना के आंकडे को भी सार्वजनिक करने की मांग की.
तेजस्वी ने कहा कि उनकी पार्टी के द्वारा जाति आधारित जनगणना के आंकडे को जारी किए जाने की लगातार मांग के बावजूद केंद्र सरकार की इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है, जो यह दर्शाता है कि उसकी मंशा संविधान और आरक्षण विरोधी है. उन्होंने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) अधिनियम में संशोधन के विरोध में पिछले सप्ताह सवर्ण समुदाय के भारत बंद को बीजेपी और आरएसएस प्रायोजित होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यह एससी/एसटी और ओबीसी समूह के बीच एक दरार पैदा करने का एक प्रयास था, जिसे दोनों समुदाय भलिभांति समझ रहे हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी ऊंची जातियों के गरीबों को आरक्षण का लाभ दिए जाने के पक्ष में है, तेजस्वी ने कहा कि हम सबसे पहले, जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग करते हैं. हमे संबंधित जाति समूहों की सटीक सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति जाननी चाहिए. वर्तमान में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण का पूरा लाभ नहीं मिला है, जिसके वे हकदार हैं .
आरजेडी की यह बैठक आरजेडी प्रमुख लालू यादव की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के यहां स्थित सरकारी आवास पर आयोजित की गयी. इसमें आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह और पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी भी मौजूद थे.