नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के साइकिल चुनाव चिन्ह को लेकर सोमवार को चुनाव आयोग फैसला दे सकता है. फैसले पर निर्भर करेगा कि इस बार मतदाताओं को यूपी चुनाव में साइकिल चुनाव चिन्ह का बटन दबाने का मौका मिलेगा या नहीं. चुनाव आयोग के सूत्रों से जो खबर मिल रही है  उसके मुताबिक, ना तो मुलायम गुट ही साइकिल की सवारी कर पाएगा और ना ही अखिलेश गुट.


सूत्रों से जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक तो चुनाव आयोग ने तो मान लिया है कि समाजवादी पार्टी टूट चुकी है. मुलायम शुक्रवार को चुनाव आयोग में अपना दावा ठोंकने पहुंचे थे.


क्या टूट की कगार पर है समाजवादी पार्टी ?


मुलायम ने कहा पार्टी में कोई टूट नहीं है. मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम ज़ैदी ने पूछा तो चुनाव चिन्ह किसी दिया जाए.  मुलायम फौरन बोले, साइकिल मुझे दिया जाए. मुलायम के इस जवाब पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, इसका मतलब पार्टी में टूट है.


चुनाव आयोग में साइकिल को पाने के लिए दोनों गुटों ने अपनी-अपनी दलीलें दे दीं हैं. अखिलेश यादव की ओर से कांग्रेस नेता और वकील कपिल सिब्बल भी चुनाव आयोग में मौजूद थे. तो ऐसे में सवाल ये है कि साइकिल चुनाव चिन्ह का क्या हो सकता है ?


भारत के इतिहास में ऐसा दो बार हुआ है जब चुनाव चिन्ह पर दो गुटों में जंग हुई हो.


पहला- 1969 में कांग्रेस के चुनाव चिन्ह ‘दो बैलों की जोड़ी’ पर कब्ज़े को लेकर इंदिरा गांधी गुट और कामराज गुट टकराया था.


नतीजा- चुनाव आयोग ने ‘दो बैलों की जोड़ी’ चुनाव चिन्ह को जब्त कर लिया था.


दूसरा- 1999 में जनता दल के चुनाव चिन्ह ‘चक्र’ पर कब्ज़े को लेकर शरद यादव और एच डी देवगौड़ा गुट टकराया था.


नतीजा- चुनाव आयोग ने ‘चक्र’ चुनाव चिन्ह ज़ब्त कर लिया था.


संकेत साफ है.  अगर चुनाव आयोग इसी परंपरा के साथ जाएगा तो साइकिल चुनाव चिन्ह का ज़ब्त होना करीब-करीब तय है.


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