रायबरेली: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी मंगलवार को  सोनिया गांधी के निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली के दौरे पर पहुंची. प्रियंका ने यहां निजीकरण के खिलाफ आंदोलन कर रहे रेल कोच फैक्टरी के कर्मचारियों से मुलाकात की. प्रियंका ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार की मंशा फैक्ट्री के निजीकरण की है. प्रियंका ने कहा कि सरकार से इस फैसले का कोई आधार नहीं है. इसका एक मात्र आधार राजनीतिक है.


प्रियंक ने कहा कि अगर ये फैख्ट्री घाट में चल रही होती तो इसके निजीकरण करने का फैसला समझने लायक था पर जब ये सबसे अच्छा प्रदर्शन कर रही है तो फिर सरकार ये कदम क्यों उठा रही है. प्रियंका ने कहा कि और कई जगह रेल कोच फैक्ट्रियां हैं पर निजीकरण की शुरूआत रायबरेली क्यों की जा रही है.


प्रियंका ने लोगों को संबाधित करते हुए कहा आप लोग जब-जब मुझे बुलाएंगे मैं आऊंगी.  आप लोगों के संघर्ष में कांग्रेस आपके साथ है. आप लोगों के साथ मेरी आवाज उठेगी. इसलिए घबराइए मत, संघर्ष करिए. हम ऐसा कुछ होने नहीं देंगे.


क्यों विरोध कर रहे हैं कर्मचारी


दरअसल इस कोच फैक्ट्री का सरकार निगमीकरण करने वाली है, जिसको लेकर फैक्ट्री के कर्मचारी बीते 18 जून से लगातार धरना कर रहे हैं. कर्मचारियों का कहना है कि वो सरकारी कर्मचारी हैं लेकिन सरकार निगमीकरण करके उनकी तनख़्वाह को नफ़ा नुकसान के दायरे में बांध देगी. कर्मचारियों का ये भी आरोप है कि सरकारी फैक्ट्री का निगमीकरण आगे चलकर निजीकरण का तरीक़ा है, इसलिए वो तबतक विरोध बन्द नहीं करेंगे, जबतक सरकार अपना फ़ैसला वापस ना ले ले.


सोनिया गांधी ने किया था मॉडर्न कोच फैक्ट्री का शिलान्यास
रायबरेली की मॉडर्न कोच फैक्ट्री का शिलान्यास साल 2008 में तत्कालीन यूपीए अध्यक्ष और रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी ने किया था. इस फैक्ट्री का उद्घाटन साल 2013 में सोनिया गांधी ने ही किया. इसमें कुल स्थायी कर्मचारियों की संख्या 2200 के क़रीब है, वहीं क़रीब 5000 अस्थाई कर्मचारी इसमें काम कर रहे हैं. 542 हेक्टेयर में फैले इस फैक्ट्री में भारतीय रेल की ज़रूरत के मुताबिक़ कोच बनाये जाते हैं. जिसमें जनरल बोगी से लेकर स्लीपर और एसी कोच शामिल हैं.


फैक्ट्री का भविष्य का लक्ष्य मेट्रो रेल के लिए एल्युमुनियम कोच तैयार करने का है. पिछले साल मॉडर्न कोच फैक्ट्री को 3200 करोड़ रुपये में 5000 कर्मचारियों के साथ 1000 कोच बनाने का लक्ष्य रखा गया था. हालांकि फैक्ट्री के नेताओं का दावा है कि मात्र 2600 करोड़ में 1400 से ज़्यादा डब्बे तैयार कर सबसे उत्कृष्ट फैक्ट्री बनाने का तमगा भी लिया है. फैक्ट्री नेताओं का दावा है कि यहां से रेलवे को 1000 करोड़ का मुनाफ़ा भी हुआ है.


क्या है पूरा मामला


मॉडर्न कोच फैक्ट्री में काम करने वाले जूनियर इंजीनियर और कर्मचारी नेता आदर्श सिंह बघेल ने कहा कि यहां के कर्मचारी अपनी जान दे देंगे लेकिन फैक्ट्री का निगमीकरण नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि अगर उन्हें सरकारी कर्मचारी से निगम का कर्मचारी बना दिया गया तो उन्हें और उनके परिवार को मिलने वाली तमाम सरकारी सहूलियतें मिलनी बन्द हो जाएंगी. इसके अलावा फैक्ट्री जब सरकार को फ़ायदा दे रही है तो इसे निगम बनाने का क्या औचित्य है. उन्होंने कहा कि यहां के कर्मचारी 19 जून से रोज़ धरना दे रहे हैं और कई बड़े नेताओं से भी मुलाक़ात कर चुके हैं. बावजूद इसके अबतक कोई फ़ायदा नहीं हुआ, इसलिए जबतक सरकार अपना फ़ैसला वापस नहीं ले लेती, तबतक वो विरोध दर्ज कराते रहेंगे.


रायबरेली में जिस जगह कोच फैक्ट्री लगाई गई, उसका बड़ा हिस्सा ऐहार गांव से लिया गया है. 2008 में ग्रामीणों और ग्राम सभा की ज़मीन कोच फैक्ट्री के लिए देने वाले तत्कालीन ग्राम प्रधान ने कहा कि फैक्ट्री खुलने से स्थानीय लोगों को बहुत फ़ायदा हुआ है. उन्होंने ग्राम सभा की ज़मीन इस लालच में दी थी कि उनके बच्चों को आगे चलकर सरकारी नौकरी मिलेगी. लेकिन अब अगर सरकार इसे निगम बनाएगी तो इससे आशंका है कि आगे चलकर इसका निजीकरण कर दिया जाएगा.


तत्कालीन ग्राम प्रधान ने कहा कि तब उनके किसानों को ढाई गुना मुआवज़ा दिया गया था. अब अगर सरकार निगमीकरण कर रही है तो उन्हें कम से कम 6 गुना मुआवज़ा दिया जाए. उन्होंने दावा किया कि फैक्ट्री से होने वाली कमाई और मानव संसाधन अपना ख़र्च आसपास के बाजारों में करती है लेकिन अगर इसको निगम बनाया गया तो ज़रूरी नहीं है कि ये फैक्ट्री मुनाफ़े में रहेगी, ऐसे में सरकार के इस फ़ैसले का ग्राम प्रधान विरोध कर रहे हैं.


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