Lok Sabha Elections 2019: लोकसभा चुनाव में विरोधियों के हमलावर रुख के बीच लालू प्रसाद यादव के परिवार में घमासान छिड़ गया है. आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने छोटे भाई तेजस्वी यादव के करीबी नेताओं पर आरोप लगाते हुए खुद को आरजेडी से अलग करने का एलान किया है और 'लालू-राबड़ी मोर्चा' बनाने की बात कही है. वैसे तो तेजप्रताप की नाराजगी पुरानी है लेकिन ताजा विवाद टिकट बंटवारे को लेकर है. 5 प्वाइंट्स में पढ़ें क्यों नाराज हैं तेजप्रताप-

1. पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव जहानाबाद से अपने करीबी नेता चंद्र प्रकाश और शिवहर लोकसभा सीट से अंगेश को टिकट दिलाना चाहते थे. तेजस्वी को यह मंजूर नहीं था और उन्होंने लालू यादव से सलाह के बाद जहानाबाद से सुरेंद्र यादव को टिकट दिया. साथ ही शिवहर से अपने करीबी नेता के लिए सीट रिजर्व रखी और उम्मीदवारों की घोषणा अभी तक नहीं की है. यही नहीं तेजस्वी ने तेजप्रताप यादव के ससुर चंद्रिका राय को सारण लोकसभा सीट से टिकट दे दिया. जो तेजप्रताप के लिए कटे पर नमक छिड़कने जैसा था.

2. बिहार के वैशाली जिले के महुआ विधानसभा क्षेत्र से विधायक तेजप्रताप ने कहा, ‘‘सारण मेरे पिता लालू यादव और मां राबड़ी देवी की सीट है. मैं अपनी मां से हाथ जोड़कर आग्रह करता हूं कि वह खुद वहां से चुनावी मैदान में उतरें. अगर ऐसा नहीं होता है तो मैं एक निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडूंगा और इसे जीतने की पूरी कोशिश करूंगा.’’ तेजप्रताप ससुर को सारण से टिकट दिये जाने से नाराज हैं. दरअसल, चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या की पिछले साल मई में तेजप्रताप के साथ शादी हुई थी. शादी के छह महीने से कम समय के भीतर तेजप्रताप ने तलाक की याचिका दायर की.

3. तेजप्रताप के तलाक की याचिका के बाद लालू यादव और राबड़ी देवी ने समझाने की कोशिश की और रिश्ता कायम रखने के लिए कहा. तेजप्रताप नहीं माने और कई दिनों तक घर से बाहर रहे. बाद में घर तो लौटे लेकिन वह अपने फैसले पर अडिग रहे. तेजप्रताप इस मामले में परिवार वालों का साथ चाहते थे लेकिन सभी ने तेजप्रताप से शादी बरकरार रखने के लिए कहा. इस वजह से उनकी नाराजगी बढ़ती गई. तेजप्रताप ने अपने करीबियों को टिकट दिलाने की भी कोशिश की, नहीं मिलने पर उन्होंने 28 मार्च को आरजेडी की छात्र इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.

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4. तेजप्रताप ने घोषणा की कि जहानाबाद और शिवहर दोनों सीटों पर अपने मोर्चे के तहत चुनावी मैदान में उतरेंगे. एक प्रश्न का उत्तर देते हुए तेजप्रताप ने कहा कि पार्टी मेरे खिलाफ क्या कार्रवाई कर सकती है. आरजेडी नेतृत्व को यह महसूस करना होगा कि बिहार में राजग सरकार के खिलाफ व्यापक आक्रोश है जिसकी फसल हमें काटनी है. हमें लोगों को नाराज नहीं करना चाहिए.

5. लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप की नाराजगी पुरानी है. दरअसल, बिहार में 2015 में जब आरजेडी-जेडीयू महागठबंधन की सरकार बनी तो लालू यादव ने उप-मुख्यमंत्री पद के लिए छोटे बेटे तेजस्वी यादव का नाम आगे किया और तेजप्रताप को मंत्री बनवाया. उसके बाद तेजस्वी यादव का कद बढ़ा. पार्टी की बैठकों में भाग लेना हो या चुनावी मंच हर जगह तेजस्वी को तवज्जों मिली. बिहार की राजनीति में इस बात की चर्चा होती रही है कि इन्हीं सब वजहों से तेजप्रताप की नाराजगी बढ़ी. हालांकि तेजप्रताप ने खुद को कृष्ण और तेजस्वी को अर्जुन बता कर मामले को शांत करने की कोशिश की. लेकिन टिकट बंटवारे ने लालू परिवार में महाभारत छेड़ दी है.