गोरखपुर: महराजगंज लोकसभा सीट पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं सुप्रिया सिंह श्रीनेत को दमखम के साथ जीत का भरोसा है. उन्होंने कहा कि पिता और पूर्व सांसद हर्षवर्धन के पदचिन्हों पर चलूंगी. उनके 41 साल के राजनीतिक करियर से सीख लेकर उनके पदचिन्हों पर चलूंगी. उन्होंने कहा कि पांच बार के सांसद पंकज चौधरी ने उनके पिता के अधूरे कार्यों को ही पूरा नहीं किया. उनके खिलाफ जनता का आक्रोश ही मेरा हथियार है.
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महाराजगंज लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की सुपुत्री तनु श्री त्रिपाठी को टिकट दिया था. लेकिन, घोषणा के अगले ही दिन बड़ा फेरबदल करते हुए तनुश्री त्रिपाठी का टिकट काटकर पीआरकेएस के संरक्षक और महाराजगंज के पूर्व सांसद स्व. हर्षवर्धन की सुपुत्री सुप्रिया टिकट देकर अचंभित कर दिया.
सुप्रिया पूरे दमखम और जोश के साथ चुनावी मैदान में उतर चुकी हैं. उनका मानना है कि वह मौजूदा सांसद को कड़ी टक्कर तो देंगी और साथ में चुनाव जीतकर महाराजगंज के विकास में मील का पत्थर बनेंगी.
सुप्रिया ने बताया कि मैं बहुत खुश और आशान्वित हूं. मुझे लगता है मेरे ऊपर एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. कांग्रेस पार्टी ने जो नेतृत्व करने का मौका दिया है. मुझे खुशी के साथ जिम्मेदारी का एहसास भी हो रहा है. महाराजगंज में काम करने जा रही हूं और महाराजगंज मेरे पिताजी की कर्मभूमि रही है.
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41 वर्षों से मेरे पिता क्षेत्र की सेवा करते आए हैं. मैं बिल्कुल ये मानकर आई कर हूं कि मैं उन्हीं के पद चिन्हों पर चलकर राजनीति करूंगी. चाहे जितना संघर्ष और लड़ाई हो. क्योंकि बिना लड़ाई के कोई काम नहीं बनता. मैं बहुत खुश हूं मुझे अपनी जिम्मेदारी का भी एहसास है.
उनका कहना है कि मेरा सौभाग्य है कि मौजूदा सांसद के खिलाफ चुनाव मैदान में हूं. वे एक बार के सांसद नहीं, बल्कि 5 बार के सांसद हैं. यहां के लोग भी यह बता सकते हैं कि पिछले 25 साल के कार्यकाल में उन्होंने एक भी ऐसा कार्य नहीं किया जिसे ऐतिहासिक माना जा सके और जनता याद रख सकें.
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इस बार तो उनके पास एक बड़ा सुनहरा मौका था. क्योंकि केंद्र और प्रदेश दोनों जगह पर उनकी सरकार थी. वे चाहते तो बहुत कुछ कर सकते थे. हर्षवर्धन जी के अधूरे कार्यों को पूरा कर क्षेत्र की जनता का विश्वास जीत सकते थे. उन्होंने कुछ नहीं किया. वे बहुत ही उदासीन रहे हैं. चाहे गन्ना किसानों की बात हो. नौजवानों की बात हो. रोजी-रोजगार की बात हो.
महाराजगंज ऐसा जिला मुख्यालय है, जहां पर रेलवे लाइन नहीं है. जबकि हर्षवर्धन जी ने रेलवे लाइन की स्वीकृति प्रदान करा दी थी. उस कार्य को मौजूदा सांसद नहीं करा सके.