लखनऊ: पूर्वांचल का डॉन मुख्तार अंसारी जेल में है, लेकिन वो दो बार जेल से ही चुनाव जीत चुका है और इस बार मऊ विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में है. इस बार मुख्तार अंसारी ने अपने बड़े बेटे और बड़े भाई को भी चुनाव मैदान में उतारा है. यानी पूर्वांचल के डॉन का पूरा परिवार इस वक्त चुनाव लड़ने और लड़ाने में व्यस्त है.


पूर्वांचल में मुख्तार अंसारी का नाम ही काफ़ी है. कोई फ़र्क नहीँ पड़ता कि वो जेल में है या जेल से बाहर. लम्बे अर्से से चुनाव में जीत उसी की होती आई है. मुख्तार के नाम की दहशत तब और बढ़ गई जब साल 2005 में मुहम्दाबाद से बीजेपी विधायक कृष्णा नंद राय की हत्या हुई और आरोप आया मुख्तार अंसारी पर.


हत्या की वज़ह बताई गई अंसारी बंधुओं के कब्जे वाली मुहम्दाबाद सीट को वापस लेना. हत्या के तुरंत बाद हुए उपचुनाव में कृष्णा नंद राय की पत्नी अलका राय की जीत हुई, लेकिन साल भर बाद ही मुख्य चुनाव में इस सीट पर मुख्तार के बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी की जीत हो गई. इस वक्त ये सीट सिबगतुल्लाह अंसारी के पास है. इस बार फ़िर इस सीट पर मुकाबला बीएसपी प्रत्याशी सिबगतुल्लाह और बीजेपी प्रत्याशी अलका राय के बीच है.


वामपंथ की राजनीति से कैरियर शुरू करने वाले अफजाल अंसारी पांच बार विधायक रह चुके हैं. आज भी अफजाल अंसारी ने मुहम्दाबाद सीट से अपने बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी का प्रचार करते हुए सामंतवाद और गरीबी की बात की और इस बहाने विरोधी प्रत्याशी अलका राय से जुड़े लोगों पर हमले किए.


अफजाल ने गाजीपुर की उसरी चट्टी पे जनसभा की तो मुख्तार और बृजेश सिंह गुट के बीच हुए उसरी चट्टी के कुख्यात गैंगवार को भी अपने तरीके से याद किया. इस बार मुहाम्दाबाद सीट पर डॉन परिवार के हौसले भी कमजोर पड़ गए हैं. अफजाल खुद मान रहे हैं कि ये सीट फंस गई है.


लेकिन डॉन का बड़बोला बेटा उमर अपने बड़े अब्बा की इस बात से सहमत नहीं है. मुख्तार के भतीजे सलमान अंसारी भी अपने पिता की जीत पर दावा ठोंक रहे हैं. उधर मुहम्दाबाद से बीजेपी प्रत्याशी अलका राय गांव-गांव जोर शोर से प्रचार कर रही हैं और अपनी जीत का दावा पेश कर रही हैं. उधर अपनी और परिवार की साख बचाने के लिए सिबगतुल्लाह भी प्रचार में कोई कोर कसर नहीँ छोड़ रहे.