नई दिल्ली: महाराष्ट्र से लेकर मध्य प्रदेश तक किसान अपने खेत छोड़कर सड़क पर हैं. लेकिन सीधा कनेक्शन उत्तर प्रदेश से भी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वादे पर योगी सरकार ने किसानों के कर्ज माफ़ करने का एलान किया, लेकिन दो महीने बाद भी कर्जमाफी का फॉर्मूला नहीं बन पाया है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के किसान भी परेशान होकर आंदोलन की धमकी दे रहे हैं.


मेरठ में जाटौली गांव के किसान मनोज के पास पांच एकड़ जमीन है. ये गन्ना और आलू उगाते हैं. खेती का खर्च साल दर साल बढ़ता जा रहा है और उपज का वाजिब दाम नहीं मिल रहा. नतीजा अब उत्तर प्रदेश से भी आंदोलन की आवाज सुनाई दे रही है. उत्तर प्रदेश में कर्जमाफी के एलान ने महाराष्ट्र से लेकर मध्य प्रदेश और राजस्थान-हरियाणा तक के किसानों को आंदोलन की राह पर ला दिया है.


इन सभी राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं और इनकी मांग है कि अगर यूपी में कर्जमाफी हो सकती है तो उनके राज्य में क्यो नहीं. योगी सरकार ने चार अप्रैल को कैबिनेट की पहली ही बैठक में कर्जमाफी का एलान किया था, लेकिन दो महीने बाद भी योगी सरकार तय नहीं कर पाई कि कर्जमाफी के लिए 36 हजार करोड़ रुपये कहां से आएंगे. सरकार कह रही है बजट तक का इंतजार करिए.



बीजेपी शासित राज्यों में आंदोलन के डर से कर्जमाफी के मामले में केंद्र ने योगी सरकार की मदद करने से हाथ खींच लिए थे. यूपी सरकार बैंकों के लिए बॉन्ड जारी करना चाहती थी लेकिन आरबीआई ने इजाजत नहीं दी.


इसके बाद अधिकारियों ने पेट्रोल समेत कुछ चीजों पर टैक्स बढ़ाकर पैसे जुटाने का फॉर्मूला सुझाया लेकिन योगी ने कह दिया कि उनके राज्य में कोई टैक्स नहीं लगेगा.


अब सरकार सरकारी खर्चों में कटौती और विभागों के बजट में काट-छांट करके 36 हजार करोड़ रुपये जुटाना चाह रही है, लेकिन इतनी बड़ी रकम का इंतजाम कैसे होगा, इसके लिए बजट का ही इंतजार करना पड़ेगा. तब तक योगी सरकार के इस एलान के साइड इफेक्ट ही दिखेंगे.


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