इलाहाबाद: यूपी चुनाव में पीएम मोदी द्वारा यूपी पब्लिक सर्विस कमीशन में गड़बड़ियों का मुद्दा उठाए जाने के बाद प्रतियोगी छात्रों को अब इस बात की पूरी उम्मीद है कि सूबे में बीजेपी की सरकार बनते ही अखिलेश यादव राज में कमीशन पर लगे भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों के आरोपों की जांच सीबीआई से कराई जाएगी. अकेले इलाहाबाद में रहने वाले एक लाख से ज़्यादा प्रतियोगी छात्र इस उम्मीद के साथ बेसब्री से बीजेपी की सरकार बनने का इंतजार कर रहे हैं.


भर्तियों में कथित गड़बड़ियों की सीबीआई जांच की सिफारिश


वैसे गृहमंत्री राजनाथ सिंह समेत बीजेपी के कई नेताओं ने वायदा किया था कि यूपी में उनकी सरकार बनने पर कैबिनेट की पहली बैठक में ही कमीशन में हुई भर्तियों में कथित गड़बड़ियों की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी जाएगी. वैसे कमीशन पर अब यूपी में सत्ता बदलने का असर भी नजर आने लगा है. समाजवादी पार्टी की हार के बाद कमीशन में ऊंचे ओहदों पर बैठे लोग अब बैकफुट पर जाते दिखाई देने लगे हैं.


PM ने उठाया था प्रतियोगी छात्रा की कॉपी बदले जाने का मुद्दा


पीएम ने सुहासिनी बाजपेई नाम की जिस प्रतियोगी छात्रा की कॉपी बदले जाने का मुद्दा वाराणसी के रोहनिया की चुनावी रैली में ज़ोर-शोर से उठाया था, कमीशन ने उसके मामले में न सिर्फ अपनी गलती स्वीकार कर ली है, बल्कि मुख्य परीक्षा में नम्बर बढ़ाने के बाद आनन-फानन में उसका इंटरव्यू भी करा दिया है. हालांकि इंटरव्यू के बाद जारी रिजल्ट में भी इस छात्रा को कामयाबी नहीं मिल सकी है.


गौरतलब है कि अखिलेश यादव राज में यूपी पब्लिक सर्विस कमीशन पूरे पांच सालों तक विवादों में घिरा रहा और प्रतियोगी छात्रों के निशाने पर रहा. इलाहाबाद में कमीशन के हेडक्वार्टर पर आए दिन प्रदर्शन और हंगामा होता था. दर्जनों बार लाठीचार्ज हुई. कई बार हवाई फायरिंग की गई. सैकड़ों की तादात में प्रतियोगी छात्र जेल भेजे गए. कमीशन में विवाद की शुरुआत त्रिस्तरीय आरक्षण से हुई. हालांकि इस मामले में अखिलेश सरकार को हाईकोर्ट से राहत मिल गई थी.


''सर्विस कमीशन के चेयरमैन को हाईकोर्ट ने किया था बर्खास्त''


आयोग की ज़्यादातर भर्तियों में न सिर्फ गड़बड़ी के आरोप लगे बल्कि एक जाति विशेष के सेलेक्शन के भी आरोप लगते रहे. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साल 2015 में कमीशन के तत्कालीन चेयरमैन डॉ अनिल यादव को बर्खास्त कर दिया था. यह पहला मौका था जब किसी सर्विस कमीशन के चेयरमैन को हाईकोर्ट ने बर्खास्त किया था. 2015 में ही पीसीएस के प्री एग्जाम का पेपर लीक होने पर भी काफी विवाद हुआ था.


डॉ अनिल यादव की बर्खास्तगी के बाद अखिलेश सरकार ने फिर से एक बर्ग विशेष के डॉ अनिरुद्ध को चेयरमैन बना दिया. इसके अलावा इलाहाबाद में लगातार अलग अलग पदों पर रहकर विवादों में घिरे अटल कुमार राय को यहाँ का सेक्रेटरी बनाया गया. इलाहाबाद में एक लाख से ज़्यादा छात्र देश के दूसरे हिस्सों से आकर यहाँ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं. इन छात्रों को उम्मीद ही नहीं बल्कि पूरा यकीन है कि बीजेपी की नई सरकार कुर्सी संभालते ही उनके साथ इंसाफ करेगी.