बंगाल की राजनीति में इस वक्त हर तरफ हिंसा की आग दिखाई दे रही है. बीजेपी और टीएमसी में लड़ाई का एक नया अध्याय बीएसएफ को लेकर शुरू हो गया है. टीएमसी नेता और पश्चिम बंगाल के मंत्री फिरहाद हाकिम ने बीएसएफ पर बॉर्डर इलाकों में बीजेपी के लिए वोट डालने का दबाव बनाने का आरोप लगाकर नया विवाद खड़ा कर दिया.


बीजेपी का कहना है कि बीएसएफ का काम सीमा की सुरक्षा और उन इलाकों में कानून व्यवस्था बनाना है. सियासी दंगल में खींचतान को लेकर बीएसएफ को सामने आकर सफाई देनी पड़ी. बीएसएफ ने कहा, ''बीएसएफ एक प्रोफेशनल संस्था है जो सीमा की सुरक्षा में हमेशा से सीमा की सुरक्षा में पूरी तत्परता और समर्पण के साथ लगी है. हम अवैध घुसपैठ और तस्करी को रोकने के साथ साथ आरोपियों पर कार्रवाई भी करती है.''


क्या है पूरा मामला
दरअसल, टीएमसी और बीजेपी दोनों पार्टी ने गुरुवार को चुनाव आयोग से मुलाकात कर एक दूसरे पर शिकायतों की बौछार कर दी. बीजेपी ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश की सीमा से सटे इलाकों में टीएमसी ने चार से पांच लाख रोहिंग्या वोटरों को जो़डा है जबकि टीएमसी इसे बीजेपी की डर्टी पॉलिटिक्स करार दे रही है.


चुनाव की तरफ बढ़ते बंगाल में बीजेपी और टीएमसी के बीच नई पार्टी को लेकर भी वार पलटवार का खेल चल रहा है.
फुरफुरा शरीफ अहले सुन्नत जमात के अब्बास सिद्दीकी ने अपनी नई पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट बनाई है. टीएमसी इसे वोटकटुआ बता रही है तो बीजेपी का कहना है लोकतंत्र में चुनाव लड़ने का सबका हक है.


इसके अलावा केंद्रीय सुरक्षा बलों की निगरानी में चुनाव करवाने को लेकर भी बीजेपी और टीएमसी में जुबानी जंग जारी है. बंगाल चुनाव में तनाव किस चरम तक पहुंचेगा ये कहना मुश्किल है क्योंकि हर बढ़ते दिन के साथ हिंसा भी जोर बढ़ता जा रहा है.


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