भोपाल: मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस का फोकस अगले विधानसभा के चुनाव पर है. इसलिए कांग्रेस ने 2023 में पहली बार वोट डालने वालों को साधने के लिए बड़ा प्लान तैयार किया है. इन युवाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए कांग्रेस अब अपने एक और प्रकोष्ठ यानी कि बाल कांग्रेस का गठन करने वाली है. वहीं बीजेपी का जोर दफ्तर बनाने से लेकर युवाओं को जोड़ने पर है. एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस अब बाल कांग्रेस का गठन कर रही है, जिसके लिए सदस्यता अभियान शुरू होने वाला है.


कोशिश है पहली दफा वोट डालने वालों को पार्टी से जोड़ा जाए जिसमें 16 से 18 साल के युवाओं सदस्य बनाया जाएगा. उन्हें आजादी की दास्तां बताई जाएगी. कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के बारे पढ़ाया जाएगा. कांग्रेस की रीति नीति, विचारधारा से अवगत कराया जाएगा. पार्टी इसपर गंभीर है, वहीं बीजेपी तंज कस रही है. पूर्व कानून मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने कहा, 'वो बच्चा जिसके पास ठोस जानकारी होगी देश के इतिहास की... देश और प्रदेश के निर्माण की तरफ ये बच्चों का मूवमेंट होगा. संपूर्ण जानकारी से अवगत कराना ये उद्देश्य बाल कांग्रेस का है.'


वहीं कैबिनेट मंत्री और बीजेपी नेता विश्वास सारंग ने कहा, 'एनएसयूआई अब कांग्रेस के नेताओं की बात मानता नहीं है. जी-23 की मीटिंग होने लगी है. उन्हें लगता है कि बच्चों को इकठ्ठा करके ही थोड़ी राजनीति कर लें, लेकिन राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए बच्चों को पढ़ाई से विमुख कर राजनीति की तरफ ले जाना उचित नहीं होगा.'


उधर बीजेपी अपने सारे मंडलों को स्वाबलंबी बनाने से लेकर 65000 बूथों को डिजिटल बनाने पर जोर दे रही है, मकसद है युवाओं को जोड़ना. मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा, 'यूथ फॉर द नेशन और पॉलिटिक्स फॉर द नेशन जैसे कार्यक्रमों से एमपी के अंदर जो नौजवान साथी हैं, अनुसूचित जाति जनजाति के साथी हैं, उसके तहत एक करोड़ युवाओं के साथ कनेक्टिविटी बनाने के लिए काम करेंगे.' कांग्रेस कहती है अब लड़ाई विचारधारा की है, वहीं बीजेपी इस लड़ाई को डिजिटल बनाने पर जोर दे रही है.


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