गायक जुबिन गर्ग की पत्नी गरिमा सैकिया गर्ग ने शनिवार (04 अक्टूबर, 2025) को अपने पति की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पुलिस को लौटाते हुए कहा कि यह उनका 'निजी दस्तावेज' नहीं है और जांचकर्ता ही बेहतर तय कर पाएंगे कि इसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए या नहीं.

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CID की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मोरमी दास शनिवार को गरिमा को जुबिन की दूसरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट सौंपने के लिए गुवाहाटी के काहिलीपाड़ा इलाके स्थित उनके आवास पहुंचीं. दास के जाने के बाद गरिमा ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि जांच में सिंगापुर में जुबिन की मौत के पीछे की वास्तविक परिस्थितियों का पता लगा लिया जाएगा.

'पोस्टमार्टम रिपोर्ट मेरा निजी दस्तावेज नहीं'

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उन्होंने कहा, 'मैंने व्यक्तिगत रूप से सोच-विचार किया और दूसरे लोगों के भी सुझाव लिए. चूंकि जांच जारी है, इसलिए मैं पोस्टमार्टम रिपोर्ट को अपना निजी दस्तावेज नहीं मानती. मैंने जांच अधिकारी को रिपोर्ट लौटा दी है.' गरिमा ने कहा कि वह बस यही चाहती हैं कि जांच सही तरीके से की जाए और सच्चाई जल्द से जल्द सामने आए.

उन्होंने कहा, 'मुझे कानून के बारे में कोई जानकारी नहीं है. इसे (पोस्टमार्टम रिपोर्ट) सार्वजनिक करने से जांच प्रभावित होगी या नहीं, मुझे नहीं पता. इसीलिए मैंने रिपोर्ट लौटा दी है. अगर इसे सार्वजनिक किया जा सकता है तो यह आपको जांचकर्ताओं से मिलेगी.'

गायक को जहर दिए जाने के दावे पर बोलीं पत्नी गरिमा

जब गरिमा से जुबिन के बैंड में शामिल शेखर ज्योति गोस्वामी के गायक को जहर दिए जाने के दावे के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने सवाल किया कि शेखर इतने लंबे समय तक चुप क्यों रहे. गरिमा ने कहा, 'अगर शेखर को पता था तो उन्होंने यह बात इतने दिनों तक क्यों छिपाए रखी? बहरहाल, जांच जारी है.'

उन्होंने कहा, 'अगर किसी ने गलत किया है तो उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. जुबिन के साथ ऐसा क्यों किया गया? वह सभी से कितना प्यार करते थे. वह सिर्फ लोगों से प्यार करना जानते थे और कुछ नहीं. उन्होंने मुझे भी सिर्फ लोगों पर भरोसा करना सिखाया था.'

पुलिस हिरासत में जुबिन मर्डर केस के आरोपी

जुबिन की सिंगापुर में समुद्र में तैरते समय रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी. वह श्यामकानु महंत और उनकी कंपनी की ओर से आयोजित चौथे पूर्वोत्तर भारत महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए सिंगापुर गए थे. महोत्सव के आयोजक श्यामकानु महंत, जुबिन के प्रबंधक सिद्धार्थ शर्मा और बैंड के दो सदस्यों-शेखर ज्योति गोस्वामी और अमृतप्रभा महंत-को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है. अदालत ने चारों आरोपियों को 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा है.

CID ​​का नौ सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) सिंगापुर में हुई जुबिन की मौत के मामले की जांच कर रहा है. असम सरकार ने मामले की जांच के लिए एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का भी गठन किया है. शुक्रवार को जुबिन की मौत के मामले में एक नया मोड़ सामने आया, जब ‘पीटीआई’ को मिले ‘गिरफ्तारी के विस्तृत आधार’ या रिमांड नोट से पता चला कि गायक के बैंड में शामिल शेखर ने जुबिन के प्रबंधक सिद्धार्थ और महोत्सव के आयोजक महंत पर सिंगापुर में उन्हें जहर देने का आरोप लगाया है.

'जांचकर्ताओं के पास रहे पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट'

गरिमा ने कहा, 'हम टीम के सदस्यों को अपना मानते थे और उनसे परिवार के सदस्य की तरह पेश आते थे. जुबिन हमेशा कहते थे कि ये लोग हमारे परिवार का हिस्सा हैं और हमें उनके परिवारों के बारे में भी सोचना है. हमने तो बस यही किया. अब हमें क्या सिला दिया गया है, क्या हमारे साथ सचमुच ऐसा किया गया है? अगर ऐसा किया गया है तो दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए.'

गरिमा ने कहा कि उन्हें न्यायिक प्रणाली पर पूरा भरोसा है और वह पूरा सहयोग कर रही हैं. उन्होंने कहा, 'पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट जांचकर्ताओं के पास रहने दीजिए. मुझे विश्वास है कि वे इसके साथ पूरा न्याय करेंगे. मेरा मानना ​​है कि जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही है और जल्द ही अच्छे नतीजे मिलने की उम्मीद है. पूरी जांच निष्पक्ष तरीके से होनी चाहिए और हमें मामले से जुड़ी हर जानकारी उपलब्ध कराई जानी चाहिए.'

SIT ने पत्नी गरिमा और बहन का दर्ज किया बयान

गरिमा ने कहा, 'अब तरह-तरह की खबरें प्रसारित की जा रही हैं और यह तुरंत पता नहीं चल पा रहा है कि इनमें कितनी सच्चाई है और इनके पीछे कौन है. मैंने अपना पति खो दिया है. मैं उन्हें कभी वापस हासिल नहीं कर पाऊंगी, लेकिन उन्हें उचित न्याय मिलना चाहिए. वह एक अच्छे इंसान थे. उन्होंने अपना सब कुछ लुटाकर सभी से प्यार किया. ऐसे व्यक्ति के साथ कोई अन्याय नहीं होना चाहिए.'

गरिमा ने संवाददाताओं को बताया कि SIT ने दिन में उनका और जुबिन की बहन पाल्मे का विस्तृत बयान दर्ज किया. उन्होंने कहा, 'SIT ने सभी विवरण एकत्र किए, जैसे कि मैं जुबिन को कब से जानती थी. यह मेरा अनुरोध, मांग और प्रार्थना है कि उस व्यक्ति को न्याय मिलना चाहिए. जुबिन गर्ग से जुड़े मामले में ध्यान भटकाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए.'

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