Baba Ramdev Latest News: योग गुरु स्वामी रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक (एमडी) आचार्य बालकृष्ण ने औषधीय उत्पादों की प्रभावकारिता के बारे में बड़े-बड़े दावे करने वाले विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ‘‘बिना शर्त माफी’’ मांगी है. सर्वोच्च अदालत में दाखिल दो अलग-अलग हलफनामों में रामदेव और बालकृष्ण ने देश के सबसे बड़े कोर्ट के पिछले साल 21 नवंबर के आदेश में दर्ज ‘‘बयान के उल्लंघन’’ के लिए बिना शर्त माफी मांगी है.


हलफनामे के जरिए रामदेव बोले, ‘‘मैं विज्ञापनों के संबंध में बिना शर्त माफी मांगता हूं. मुझे इस गलती पर गहरा अफसोस है और मैं अदालत को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इसे दोहराया नहीं जाएगा. मैं इस अदालत के 21 नवंबर 2023 के आदेश के पैरा तीन में दर्ज बयान के उल्लंघन के लिए बिना शर्त माफी मांगता हूं.’’ योग गुरु ने इसके अलावा कहा कि बयान का अक्षरशः अनुपालन किया जाएगा और इस तरह का कोई भी विज्ञापन जारी नहीं किया जाएगा.


आगे नहीं दोहराया जाएगा इसे- स्वामी रामदेव


रामदेव ने पिछले साल 22 नवंबर को हुए संवाददाता सम्मेलन के लिए भी बिना शर्त माफी मांगी और कोई भी सार्वजनिक बयान नहीं देने का आश्वासन दिया, जो अदालत के समक्ष दिए गए वचन का उल्लंघन हो सकता है. वह बोले, ‘‘मुझे इस चूक पर खेद है और आश्वासन देता हूं कि भविष्य में इसे नहीं दोहराया जाएगा. मैं कथन के उल्लंघन के लिए क्षमा चाहता हूं. मैं हमेशा कानून का पालन करने का वचन देता हूं.’’ 


सहयोगी बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा?


बालकृष्ण की ओर से सुप्रीम कोर्ट से कहा गया, ‘‘मुझे प्रतिवादी संख्या पांच (पतंजलि) की ओर से विज्ञापन जारी करने पर गहरा खेद है, जो 21 नवंबर, 2023 के आदेश का उल्लंघन है. मैं इस बारे में अपनी और प्रतिवादी संख्या पांच की ओर से बिना शर्त माफी मांगता हूं. अदालत के आदेशों का उल्लंघन करने का मेरा कभी कोई इरादा नहीं था. मैं वचन देता हूं कि भविष्य में ऐसी कोई चूक नहीं होगी. मैं हमेशा कानून की महिमा को बनाए रखूंगा.’’


10 अप्रैल को इस केस पर SC की बेंच करेगी सनवाई


जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला की बेंच अब बुधवार (10 अप्रैल, 2024) को इस मामले पर सुनवाई करने वाली है, जबकि इससे पहले दो अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण की माफी को ‘कोरी बयानबाजी’ कहकर खारिज कर दिया था. बेंच ने औषधीय उत्पादों की प्रभावकारिता के बारे में पतंजलि के बड़े-बड़े दावों और कोविड महामारी के चरम दौर में एलोपैथी को बदनाम करने पर केंद्र की कथित निष्क्रियता पर भी सवाल उठाया और पूछा कि सरकार ने क्यों ‘आंखें मूंदे’ रखीं?


IMA के आरोप वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा SC


अदालत ने बालकृष्ण के इस बयान को भी खारिज कर दिया कि औषधि और प्रसाधन सामग्री (जादुई उपचार) अधिनियम ‘‘पुराना’’ है. कोर्ट की तरफ से इस दौरान कहा गया था कि पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापन ‘‘अधिनियम के दायरे’’ में हैं और अदालत से किए गए वादे का उल्लंघन करते हैं. दरअसल, शीर्ष अदालत इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है.


क्या है पूरा मामला? जानिए


इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर, 2023 के आदेश में कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने उसे आश्वासन दिया था कि ‘‘अब से खासकर पतंजलि आयुर्वेद की ओर से निर्मित और विपणन किए गए उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग के बारे में किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा. प्रभावकारिता के बारे में या चिकित्सा की किसी भी पद्धति के खिलाफ कोई भी बयान किसी भी रूप में मीडिया में जारी नहीं किया जाएगा. पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ‘‘इस तरह के आश्वासन का पालन करने के लिए बाध्य है.’’ आश्वासन का पालन नहीं करने और उसके बाद मीडिया में बयान जारी किए जाने पर शीर्ष अदालत ने अप्रसन्नता जाहिर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने बाद में पतंजलि कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया कि क्यों न उसके खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू की जाए. 


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