मुंबई: यस बैंक के संस्थापक और पूर्व सीईओ राणा कपूर को प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने गिरफ्तार कर लिया है. राणा कपूर को 31 घंटे की मैराथन पूछताछ के बाद सुबह चार बजे गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तारी के बाद राणा कपूर को आज सुबह प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट कोर्ट यानी पीएमएलए कोर्ट में पेश किया जाएगा. इससे पहले शनिवार को ईडी ने दिल्ली और मुंबई में कुछ और स्थानों पर छापे भी मारे थे.


कपूर को शनिवार दोपहर में बालार्ड एस्टेट स्थित ईडी के कार्यालय लाया गया. राणा कपूर के खिलाफ लुक आउट नोटिस भी जारी किया गया है, इसका मतलब है वो अब देश छोड़ कर नहीं भाग सकता. राणा कपूर की गरिफ्तारी के बाद यस बैंक के कुछ और बड़े अधिकारियों पर गाज गिरनी तय है.


राणा कपूर पर आरोप है कि डीएचएफएल कंपनी को लोन देने के बदले कपूर की पत्नी के एकाउंट में फायदा पहुचाया गया. इस दौरान वित्तीत गड़बड़ियों का आरोप है. 2017 में यस बैंक ने 6,355 करोड़ रुपए की रकम को बैड लोन में डाल दिया था.


स्टेट बैंक के निवेश से बचेगा यस बैंक, ये है पूरा प्लान
वित्तीय संकट के फेर में फंसे यस बैंक को सहारा देने के लिए SBI ने यस बैंक में निवेश की योजना बनाई है. इस संबंध में RBI ने शुक्रवार को "ड्राफ्ट रिकंस्ट्रक्शन स्कीम" जारी की है. इस स्कीम पर SBI अपने बोर्ड की मंजूरी लेकर सोमवार को RBI से मिलेगा. बोर्ड क्या कुछ मंज़ूरी देता है, पूरा प्लान इसी पर टिका है. लेकिन एक तरह से बैंक की सैद्धान्तिक तौर पर इस प्लान को मंज़ूरी मिल चुकी है.


यस बैंक पर आरबीआई का फैसला क्या है?
2019 में 3 लाख 80 हजार 826 करोड़ रुपए की पूंजी वाले यस बैंक पर 2 लाख 41 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज है. बैंक का एनपीए बढ़ा तो RBI ने कमान अपने हाथ में ली. बैंक के निदेशक मंडल को 30 दिन के लिए भंग किया है. बैंक की देखरेख के लिए प्रशासक नियुक्त किया गया. SBI के पूर्व डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ फाइनेनशियल ऑफिसर प्रशांत कुमार यस बैंक के नए प्रशासक हैं.


खाता धारकों की बैंक से पैसा निकालने की सीमा 50 हजार रुपए महीना तय कर दी गई है. विशेष परिस्थितियों में 5 लाख रुपए तक खाते से निकाले जा सकते हैं. विशेष परिस्थिति का मतलब, पढ़ाई, इलाज और शादी है.


आरबीआई को क्यों उठाना पड़ा ऐसा कदम?
आरबीआई ने कदम इसलिए उठाया है ताकि बैंक की वित्तीय हालत को सुधारा जा सके. खाता धारकों के पैसों को डूबने से बचाया जा सके. RBI को ग्राहकों और बैंक की मदद के इसलिए आना पड़ा क्योंकि 2004 में शुरू हुए यस बैंक की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी.