नई दिल्ली. आज का दिन विश्वभर में वर्ल्ड हियरिंग डे के रूप में मनाया जा रहा है. इस अवसर पर नेशनल एसोसिएशन ऑफ डेफ (NAD) ने साइन लैंग्वेज को बढ़ावा देने के लिए राजधानी दिल्ली में प्रेस वार्ता का आयोजन किया. एसोसिएशन ने मीडियाकर्मियों से भी अपनी इस मुहीम को बढ़ावा देने की अपील की. इसके साथ ही साइन लैंग्वेज को बढ़ावा देने के लिए देश के प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को पत्र भी लिखा.


इस साल विश्व हियरिंग डे का थीम है "हियरिंग केयर फॉर आल! स्क्रीन. रिहैबिलिटेट." प्रेस वार्ता में NAD चीफ ऐएस नारयनन और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनुज जैन ने कहा कि WHO की ओर से जारी होने वाली वर्ल्ड हियरिंग रिपोर्ट में साइन लैंग्वेज की महत्वता को शामिल किया जाना चाहिए. वर्ल्ड फेड्रेशन ऑफ डेफ के इन सुझावों को NAD ने WHO की रिपोर्ट में शामिल किए जाने का सुझाव दिया है.


"डेफ बच्चों तक जन्म से ही साइन लैंग्वेज की पहुंच मौलिक अधिकार"
NAD ने प्रशासन से अपील की है कि साइन लैंग्वेज को अधिकारिक भाषा में शामिल किया जाना चाहिए. साथ ही एक ऐसा सिस्टम तैयार किया जाए जिससे डेफ बच्चे और उसके मां बाप तक साइन लैंग्वेज की पहुंच आसानी से हो सके ताकि वो आपस में बातचीत कर सकें. साथ ही टीचर्स को स्कूल में भी साइन लैंग्वेज का ज्ञान होने चाहिए ताकी ऐसे बच्चों को वो शिक्षित कर सकें जो डेफ हैं.


अनुज जैन का कहना है कि भारत में लगभग 18 लाख डेफ लोग हैं. उन पर केवल 700 डेफ स्कूल हैं, जिनमें से मात्र ऐसे 50 स्कूल होंगे जो सही ढंग से साइन लैंग्वेज सीखा रहे हैं.


"हियरिंग ऐड के लिए जाने से पहले साइन लैंग्वेज भी सीखना ज़रूरी"
उन्होंने कहा कि आज जब डेफ बच्चा और उसका परिवार डॉक्टर के पास जाता है तो डॉक्टर उन्हें किसी ना किसी तरह के हियरिंग ऐड को इस्तमाल करने के लिए बढ़ावा देते हैं. इस प्रक्रिया में ज्यादा पैसे भी लगते हैं और नतीजे भी उतने लाभकारी नहीं होते. ना ही हर कोई इतनी महंगी प्रक्रिया का हिस्सा बन सकता है. ऐसे में साइन लैंग्वेज को ज्यादा बढ़ावा मिलना चाहिए, जिससे डेफ बच्चा अपनी कम्युनिटी के साथ बातचीत कर सके.


NAD ने की ABP न्यूज़ की प्रशंसा
NAD के डायरेक्टर नारयनन और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनुज जैन ने कहा कि 18 लाख डेफ लोगों को कई चीजों में शामिल नहीं किया जाता है. ABP न्यूज़ के डेफ एंड एबल स्पेशल बुलेटिन की सरहाना करते हुए उन्होंने कहा कि काफी कम चैनल डेफ लोगों के लिए प्रोग्राम बना रहें हैं. ABP न्यूज़ की ये मुहीम काफी सरहानीय है, क्योंकि डेफ लोगों तक जानकारी होनी आवश्यक है. डेफ लोगों के लिए स्पेशल बुलेटिन साइन लैंग्वेज को बढ़ावा देता है.


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