Mumbai Court on Grant Of Maintenance To Wife: मुंबई की कोर्ट ने घरेलू हिंसा एक्ट के तहत पत्नी को गुजारा भत्ता देने के आदेश को बरकरार रखा है. महिला ने समलैंगिक पुरुष (Gay Man) से शादी की थी. कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा एक्ट के तहत 'पीड़ित' शब्द में सिर्फ शारीरिक शोषण का शिकार होने वाली महिला शामिल नहीं है, बल्कि इसमें यौन उत्पीड़न, भावनात्मक और आर्थिक शोषण भी शामिल है. एडिशनल सेशन जज डॉ. ए ए जोगलेकर ने मजिस्ट्रेट अदालत के एक आदेश के खिलाफ पति की अपील को खारिज कर दिया, जिसमें पत्नी को 15,000 रुपये देने का आदेश दिया गया था.


मुंबई कोर्ट (Mumbai Court) ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम (Domestic Violence Act) की धारा 3 को ध्यान में रखते हुए कहा गया कि घरेलू हिंसा शब्द का व्यापक दायरा है और यह केवल शारीरिक चोटों या दुर्व्यवहार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसे संबंधित क्षेत्रों में भी बढ़ाया जा सकता है. 


महिला का क्या था आरोप?


अदालत ने निचली अदालत की इस टिप्पणी को बरकरार रखा कि धारा के उल्लंघन में प्रतिवादी (पति) का कोई भी कार्य या आचरण स्वाभाविक रूप से घरेलू हिंसा के दायरे में आएगा. दंपति की शादी दिसंबर 2012 में हुई थी. महिला का आरोप था कि पति ने छह महीने से अधिक समय तक शादी को स्वीकार नहीं किया. महिला का आरोप है कि उसने उसे दूसरे पुरुषों के साथ संबंध बनाते हुए पाया था. वह काम से देर से घर लौटता था और उसने एक फेक फेसबुक खाता बनाया था, जो पुरुषों के साथ उनके संबंधों को दर्शाता है.


पति का आरोपों से इनकार


पत्नी की ओर से पेश सबूतों के अवलोकन पर कोर्ट ने कहा, "यह साफ है कि स्वाभाविक रूप से महिला पर आघात और भावनात्मक शोषण हुआ.'' दूसरी ओर उस आरोपी व्यक्ति ने दावा किया कि उसकी पत्नी के पास न तो उसके कथित गलत कार्यों का सबूत था और न ही उसने उसके साथ संबंध बनाने से इनकार किया था. पत्नी हमेशा उस पर शक करती थी. 


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