Negligence: सरकार (Government) की तरफ से दिव्यांगजनों (Divyangjan) को कई  सुविधाएं मुहैया कराने का दावा किया जाता है. असल में जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर हैं. कुछ ऐसा ही हुआ है दिल्ली (Delhi) के व्यवसायी (Businessman) अजय गुप्ता के साथ जो कि बचपन से ही पोलियोग्रस्त हैं.


अजय का आरोप है कि बीते मंगलवार को उन्होंने दिल्ली से मुंबई (Mumbai) तक की यात्रा की. यात्रा के दौरान अजय अपने साथ अपनी व्हीलचेयर ले कर जाते हैं. सामान्य तौर पर उनकी व्हीलचेयर प्लेन के कार्गो में लोड हो जाती है और उनके गंतव्य स्थान पर प्लेन के बाहर उन्हें उनकी व्हीलचेयर मिल जाती है.


लेकिन बीते मंगलवार को जब वो मुंबई एयरपोर्ट पर पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि उनकी व्हीलचेयर बेल्ट एरिया में मिलेगी. लेकिन बेल्ट एरिया में भी आधे घंटे इंतजार करने के बाद उन्हें बताया गया कि उनकी व्हीलचेयर दिल्ली एयरपोर्ट पर ही छूट गई है.


मैं व्हीलचेयर के बिना कहीं नहीं जा सकता
अजय गुप्ता ने बताया, “मैं व्हीलचेयर के बिना कहीं भी नहीं जा सकता. जब भी मैं प्लेन से यात्रा करता हूं तो मेरे साथ एक हेल्पर हमेशा रहता है जो व्हीलचेयर को डिस्मेंटल करके एयरपोर्ट के कर्मचारियों को दे देता है, मंगलवार को भी यही हुआ था लेकिन प्लेन के कार्गो में मेरी व्हीलचेयर लोड ही नहीं की गई. व्हीलचेयर मेरे शरीर का हिस्सा बन चुका है. ऐसा लग रहा था कि मेरा शरीर मुंबई में है और मेरी टांगे दिल्ली में रख ली गई हैं.”


दिल्ली के सफल व्यापारियों में शुमार
दिल्ली के पीतमपुरा के रहने वाले अजय गुप्ता की गिनती दिल्ली के सफल व्यापारियों में होती है. अजय एजुकेशन से लेकर डायग्नोस्टिक और प्रोडक्शन हाउस भी चलाते हैं. अजय बताते हैं कि उनकी कंपनी का 100 करोड़ से भी ऊपर का टर्नओवर है. अपने बिजनेस के सिलसिले में उन्हें अक्सर ही देश के अलग अलग शहरों की यात्रा करनी पड़ती है.


व्हीलचेयर छूट जाने की घटना पहली बार हुई
अजय कहते हैं, “यात्रा के दौरान अलग दिक्कतें आती रहती हैं. एयरपोर्ट पर व्हीलचेयर का देर से मिलना या व्हीलचेयर का टूट जाना, कभी हैंडल टूट जाता है, कभी बटन टूट जाता है पर ये पहली बार हुआ कि व्हीलचेयर एक दूसरे शहर में ही छूट गई. सबसे दुख की बात ये है कि जब मैंने एयरपोर्ट कर्मचारियों से दूसरी व्हीलचेयर की मांग की तो उनके पास कोई समाधान नहीं था. बल्कि उन्होंने तो बकायदा मेरे पैर देखें कि क्या वाकई मैं अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कोई समाधान नहीं दिया.”


क्या है नियम?
दिव्यांगों के अधिकार अधिनियम-2016 (जिसके नियमों का पालन डीजीसीए कराता है), उसके मुताबिक टिकट बुक करते समय ही दिव्यांगजनों को बताना पड़ता है कि उन्हें व्हीलचेयर ले जानी है. अजय ने भी टिकट बुक करते समय बता दिया था कि वो पोलियोग्रस्त हैं और उन्हें अपनी व्हीलचेयर ले कर यात्रा करनी है.


अजय गुप्ता ने कहा, “मेरी मांग ये है कि व्हीलचेयर गलती से टूट सकती है, गायब हो सकती है लेकिन उसकी जगह पर कुछ समय के लिए आप मैनुअल व्हीलचेयर तो दे ही सकते हैं. अब जरूरत है कि ऐसे मामलों के लिए एयरपोर्ट के कर्मचारियों के बीच जागरूकता लाई जाए, और एक ठोस पॉलिसी बनाई जाए. डीजीसीए की गाइडलाइंस का सख्ती से पालन होने की जरूरत है. अगर ये नहीं हुआ तो हम अपने ही देश के दिव्यांगो को उनके घर में बंद कर देंगे. वो डर और सुविधाओं न होने की वजह से अपने को घर में कैद कर लेंगे.”


खरीदनी पड़ी 48,000 रुपयेकी नई व्हीलचेयर
अजय का आरोप है कि एयरपोर्ट पर भी उन्हें टूटी हुई व्हीलचेयर मुहैया कराई गई थी. अजय कहते हैं कि जब एयरपोर्ट कर्मचारियों ने मदद करने में असमर्थता जताई तो उन्हें मुंबई से ही 48,000 रुपए की नई व्हीलचेयर खरीदनी पड़ी जिसके बाद वो मुंबई में आगे का काम कर सकते थे.


अजय गुप्ता ने बताया, “यह मुद्दा उठाने के बाद अब मुझे दिल्ली एयरपोर्ट से फोन आ रहें हैं छूट गई व्हीलचेयर ले जाने के लिए लेकिन मैंने अभी तक ली नहीं है क्योंकि मैं चाहता हूं कि पहले सरकार और हवाई यात्रा से जुड़ी संस्थाएं मेरी आवाज सुने और जैसा मेरे साथ हुआ वैसा और किसी के साथ ना हो.”


आपको बता दें कि अजय गुप्ता 19 मई को एयर इंडिया (Air India) की फ्लाइट (AI-887) से दिल्ली से मुंबई गए थे. उन्होंने दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल 3 से फ्लाइट बोर्ड की थी.


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