Old Pension Scheme: पुरानी पेंशन योजना को लेकर एक बार फिर नए सिरे से बहस शुरू हो गई है. कांग्रेस और आप ने इस साल के आखिर में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बनाया है. दोनों ही दलों के शीर्ष नेता लगातार इसे लागू करने के वादे कर रहे हैं.


चुनावी दंगल में ओल्ड पेंशन स्कीम क्या रंग दिखा रहा है, हम इस पर बात करेंगे. पुरानी पेंशन योजना को 1 अप्रैल 2004 को बंद कर दिया गया था और इसे राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension Scheme) से बदल दिया गया था. 


AAP और कांग्रेस की ओपीएस को भुनाने की तैयारी 


गुजरात और हिमाचल के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी कोई कसर नहीं छोड़ रहीं. गुजरात में हजारों सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों ने हाल में प्रदर्शन कर पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने की मांग की थी. इस बीच राहुल गांधी ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, “कांग्रेस शासित राज्यों, राजस्थान और छत्तीसगढ़, में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की गई है और गुजरात में भी ऐसा किया जाएगा.”


कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने एक ट्वीट में कहा, "पुरानी पेंशन ख़त्म कर बीजेपी ने बुज़ुर्गों को आत्मनिर्भर से निर्भर बना दिया. पुरानी पेंशन देश को मज़बूत करने वाले सरकारी कर्मचारियों का हक़ है.'' राहुल ने ‘कांग्रेस देगी ओल्ड पेंशन’ हैशटैग के साथ किए ट्वीट किया था. 






उधर, मंगलवार को गुजरात पहुंचे आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने गुजरात के सरकारी कर्मचारियों को भरोसा दिया कि सत्ता में आने पर OPS दोबारा बहाल की जाएगी. 


केजरीवाल ने ट्वीट किया, “गुजरात के सरकारी कर्मचारियों की मांग है कि Old Pension Scheme लागू की जाए, भगवंत जी ने पंजाब में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की तैयारी के ऑर्डर दे दिए हैं. हम गुजरात में भी सरकार बनने के बाद ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करेंगे.






ओपीएस राजनीतिक तौर पर कैसे मददगार


पुरानी पेंशन योजना बहाली के लिए एनएमओपीएस (The National Movement For Old Pension Scheme -NMOPS) के जरिए पूरे देश में राष्ट्रीय आंदोलन चलाया जा रहा है. इसमें राज्यों को पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग की जा रही है. संगठन ने एलान किया है कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों में ओपीएस को दोबारा लागू करने का वादा करने वाले किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन किया जाएगा.


दिल्ली और पंजाब की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी-आप (Aam Aadmi Party- AAP) अगर इन दो राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले पंजाब में इसे लागू करती है तो उसे गुजरात और हिमाचल (Himachal Pradesh) में कुछ हद तक राजनीतिक फायदा हो सकता है.


पंजाब में कर्मचारी भी राज्य से ओपीएस योजना को बहाल करने की मांग कर रहे हैं. गौरतलब है कि गुजरात में सैकड़ों कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने की मांग को लेकर रविवार को राज्य में प्रदर्शन किया था. इसी तरह हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों ने भी कुछ दिन पहले ओपीएस लागू करने के लिए शिमला में विरोध प्रदर्शन किया था. उधर, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले, जनवरी में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पुरानी पेंशन लागू करने का वादा किया था. बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने भी राज्य के औरैया में एक चुनाव सभा में पुरानी पेंशन बहाल करने का वादा किया था.


क्या है पंजाब में ओपीएस का मतलब


ओपीएस को केंद्र ने 2004 में वित्तीय बोझ को ध्यान में रखते हुए खत्म कर दिया था. उदाहरण के लिए, पंजाब में पहले से ही सालाना 11,000 करोड़ रुपये का मोटा पेंशन बिल है. यह पुरानी पेंशन योजना को खत्म किए जाने के 19 साल बाद की बात है. पुरानी पेंशन योजना को वापस लाने के बाद बिल में इजाफा होगा. इस राज्य पर चालू वित्त वर्ष में 2.63 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है. 18,500 करोड़ रुपये की बिजली सब्सिडी का बिल भी बढ़ता जा रहा है.  


पुरानी पेंशन ओपीएस योजना


पुरानी पेंशन योजना - ओपीएस (Old Pension Scheme -OPS) को बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने दिसंबर 2003 में दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी ( Atal Bihari Vajpayee) के शासन में खत्म कर दिया था. इसके बाद इसे राष्ट्रीय पेंशन योजना-एनपीएस (National Pension Scheme-NPS) से बदल दिया गया था. एनपीएस 1 अप्रैल, 2004 से प्रभावी हुई थी.


पुरानी पेंशन योजना में पेंशन कर्मचारी के आखिरी वेतन का 50 फीसदी होती थी. इस पूरी राशि का भुगतान सरकार करती थी. इसके बदले लाई गई एनपीएस या अंशदायी पेंशन योजना उन कर्मचारियों के लिए प्रभावी है जो 1 अप्रैल 2004 के बाद सरकारी नौकरी में शामिल हुए हैं. इसके तहत कर्मचारी अपने वेतन का 10 फीसदी पेंशन के लिए योगदान करते हैं और राज्य सरकार 14 फीसदी का योगदान करती है. इसके बाद ये पैसा पीएफआरडीए (PFRDA) के पास जमा किया जाता है जहां इसे निवेश किया जाता है.


ओपीएस का एलान करने वाले राज्य


ओपीएस की घोषणा करने वाला छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) पहला राज्य बना था. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस साल मार्च में अपने बजट भाषण में पुरानी पेंशन बहाल करने की घोषणा की थी, उसके बाद झारखंड (Jharkhand) और राजस्थान (Rajasthan) ने भी पुरानी पेंशन स्कीम पर लौटने का एलान किया.


पंजाब देश का चौथा राज्य है जो यह कह रहा है कि वह ओपीएस (OPS) को बहाल करने पर विचार कर रहा है. वहां ये एलान आप की सरकार के सीएम भगवंत मान ने किया है. उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव को दोबारा से ओपीएस लागू करने के तौर-तरीकों की संभावना पर काम करने का निर्देश दिया है.


उधर राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो वहां भी सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन लागू की जाएगी. गहलोत ने फरवरी में राज्य का 2022-23 के लिए बजट पेश करने के दौरान राज्य सरकार के कर्मचारियों के वास्ते पुरानी पेंशन को बहाल करने की घोषणा की थी. 


नई पेंशन योजना एनपीएस क्या है


सरकार ने पेंशन देनदारियों से छुटकारा पाने के लिए राष्ट्रीय पेंशन योजना शुरू की थी. साल 2000 के दशक की शुरुआत में एक रिसर्च का हवाला देते हुए एक न्यूज रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत का पेंशन कर्ज बेकाबू  स्तर पर पहुंच रहा था. एनपीएस सरकारी कर्मचारियों को अपने पैसे के निवेश की मंजूरी देता है. इसके तहत वो अपने पूरे करियर में पेंशन खाते में नियमित तौर पर योगदान करके अपने पैसे के निवेश के संबंध में फैसला ले सकते हैं.


रिटायरमेंट के बाद वे पेंशन राशि का एक हिस्सा एकमुश्त निकाल सकते हैं और बाकी का इस्तेमाल नियमित आय के लिए एन्युटी (Annuity) खरीदने के लिए कर सकते हैं. एन्युटी एक इंश्‍योरेंस प्रोडक्‍ट है. इसमें एकमुश्‍त निवेश करना होता है. इससे भविष्‍य में मासिक, तिमाही या वार्षिक तौर पर भुगतान किया जाता है. इसका इस्‍तेमाल रिटायरमेंट पोर्टफोलियो के हिस्से के तौर पर होता है. जब तक रिटायर्ड शख्स जिंदा रहता है, तब-तक उसे एक तय आमदनी मिलती रहती है. उसकी मौत के बाद ये पैसा नॉमिनी को मिलता है. 
 
ओपीएस से कैसे अलग है एनपीएस


पुरानी पेंशन योजना को निवेश रिटर्न-आधारित एनपीएस के विपरीत परिभाषित किया गया था. एनपीएस में सरकार और कर्मचारी पेंशन फंड में बराबर का योगदान करते हैं. पुरानी योजना में पेंशन के रूप में आखिरी बार लिये वेतन का 50 फीसदी दिया जाता था. पॉलिसीबाजार के मुताबिक रिटायर्ड कर्मचारियों को पेंशन के तौर पर एनपीएस में न्यूनतम भुगतान 3,500 रुपये है. उधर 80 से ऊपर के लोगों को मूल पेंशन के 20 और 100 फीसदी के बीच अतिरिक्त पेंशन मिल रही है. 


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