TMC And Congress Politics: पश्चिम बंगाल चुनाव में धमाकेदार जीत दर्ज के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी पार्टी का दायरा लगातार बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं. पिछले कुछ महीनों के दौरान ममता बनर्जी कांग्रेस से जुड़े हुए कई नेताओं को पार्टी में शामिल करवा रही हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस के लिए बीजेपी से ज्यादा बड़ा खतरा बनती जा रही हैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस? ममता बनर्जी के इस फैसले से कांग्रेस के कई नेताओं में भी नाराजगी नजर आने लगी है. इस बीच ममता बनर्जी लगातार अब दिल्ली का दौरा भी कर रही हैं और यहां पर आकर विपक्षी पार्टियों के नेताओं से भी लगातार मुलाकात कर रही हैं. सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या ममता खुद को 2024 के लिए मोदी के मुकाबले में खड़ा करने की तैयारी में जुटी हुई है?. अगर ममता की ये योजना है तो कैसे वह अपनी इस एक्सपेंशन प्लान पर काम कर रही हैं.


2024 आम चुनाव पर है ममता बनर्जी की नजर?


पश्चिम बंगाल चुनाव में धमाकेदार जीत दर्ज के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 2024 लोकसभा चुनाव के लिए अपनी दावेदारी मजबूत करने में जुट गई हैं. इसके लिए ममता बनर्जी विपक्षी पार्टी के नेताओं से तो मुलाकात कर ही रही हैं लेकिन इस बीच कई नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करवा कर उनको अहम जिम्मेदारियां भी सौंप रही हैं. खास बात यह है ममता के इस मिशन का सबसे ज्यादा अगर किसी पार्टी को नुकसान हो रहा है तो वो है कांग्रेस पार्टी. ममता बनर्जी देशभर में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए एक के बाद एक कांग्रेस के बड़े नेताओं को तोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल करवा रही हैं.


कांग्रेस की राह में बाधा है टीएमसी?


ममता बनर्जी किस तरह से कांग्रेस पार्टी के लिए मुसीबत बनती जा रही है इसका अंदाजा पिछले कुछ महीनों में तृणमूल कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए नेताओं की लिस्ट को देखकर लगाया जा सकता है. कांग्रेस के जो नेता तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं उसमें सबसे बड़ा नाम महिला कांग्रेस अध्यक्ष रही सुष्मिता देव, गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता लिईजिन्हो फेलेरियो, पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी और उत्तर प्रदेश से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र ललितेश पति त्रिपाठी शामिल हैं. इनमें से सुष्मिता और फलेरियो को तो ममता बनर्जी ने राज्यसभा सांसद तक बना दिया.


कांग्रेस छोड़ टीएमसी में क्यों जा रहे हैं नेता?


कांग्रेस छोड़कर टीएमसी में जाने वाले नेताओं की लिस्ट फिलहाल यही नहीं रुक रही. ममता बनर्जी एक बार फिर दिल्ली में है और इस बार बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए नेता कीर्ति आजाद और हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर को तृणमूल कांग्रेस में शामिल करवाया. हालांकि इनके साथ ही जदयू से पूर्व सांसद पवन वर्मा भी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के एक्सपेंशन प्लान पर अगर गौर करें तो विधानसभा चुनाव में जीत के बाद से अब तक ममता बनर्जी ने चार से पांच राज्यों में अपनी पार्टी के अस्तित्व को टटोलना शुरू कर दिया है.


ममता बनर्जी की क्या है योजना?


जिन नेताओं ने पिछले 6 महीनों के अंदर कांग्रेस का दामन थामा है वो किस राज्य से आते हैं और किस पार्टी से जुड़े रहे हैं इससे भी ममता बनर्जी के एक्सपेंशन प्लान को समझने में काफी मदद मिल सकती है. सबसे पहले बात करते हैं अभिषेक मुखर्जी की जो पूर्व प्रधान मंत्री प्रणब मुखर्जी के बेटे हैं और बंगाल से जुड़े हैं. ममता बनर्जी को वैसे तो बंगाल में किसी और चेहरे की जरूरत नहीं है लेकिन अभिषेक बनर्जी का कांग्रेस छोड़कर कांग्रेस में शामिल होना अपने आप में एक बड़ा संदेश देता है क्योंकि वो पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी के बेटे हैं.


इसके बाद बारी आती है महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव की. सुष्मिता देब राहुल गांधी की टीम का हिस्सा मानी जाती थी लेकिन सुष्मिता देव ने भी कांग्रेस का दामन छोड़कर तृणमूल की तीन पत्ती हाथ में थाम ली. सुष्मिता देव आसाम से आती है और वह उत्तर-पूर्व के राज्यों का प्रतिनिधित्व करती हैं ऐसे में सुष्मिता देव के जरिए ममता बनर्जी पूर्वोत्तर के राज्य में अपनी पार्टी का विस्तार करने की योजना पर काम कर रही है.


इसके साथ ही गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेसी नेता लिईजिन्हो फेलेरियो भी हाल ही में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए फेलेरियो के जरिए तृणमूल कांग्रेस खुद को गोवा और केरल जैसे राज्यों में स्थापित करने की तैयारी कर रही है. बात की जाए देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश की तो वहां पर भी तृणमूल कांग्रेस ने अपनी पैठ बनाने के लिए कांग्रेस के नेता पर ही दांव लगाया. तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस के सीनियर नेता रहे कमलापति त्रिपाठी के प्रपौत्र ललितेश पति त्रिपाठी को तृणमूल कांग्रेस में शामिल करवाया और इसके जरिए अपनी उपस्थिति उत्तर प्रदेश में भी दर्ज करवाने की ओर कदम आगे बढ़ा दिया है.


वही कीर्ति आजाद और पवन वर्मा बिहार से आते हैं. कीर्ति आजाद दो बार बिहार से सांसद रहे और बीजेपी का साथ छोड़कर फिलहाल कांग्रेस से जुड़े हुए थे. वहीं पवन वर्मा नीतीश के कभी करीबी हुआ करते लेकिन जब नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को पार्टी से अलग किया तो उस दौरान पवन वर्मा को भी साइडलाइन कर दिया गया. यानी ये दोनों ही नेता बिहार में तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधि के तौर पर पार्टी के विस्तार की योजनाओं पर काम कर सकते हैं. वही हरियाणा से कांग्रेस के पूर्व नेता अशोक तंवर को पार्टी में ज्वाइन करवा कर हरियाणा में भी तृणमूल कांग्रेस का जनाधार तैयार करने की एक कोशिश की जा रही है.


ममता के मिशन 2024 को अंजाम देने के काम को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं उनके रणनीतिक सलाहकार प्रशांत किशोर. प्रशांत किशोर देश की तमाम राज्य स्तर की पार्टी के नेताओं से मिलकर ममता बनर्जी के एक्सपेंशन प्लान को आगे बढ़ा रहे हैं. इसी कड़ी में पिछले कुछ महीनों के दौरान एनसीपी प्रमुख शरद पवार के दिल्ली स्थित घर पर बैठके भी हो चुकी है. जिसमें शरद पवार, यशवंत सिन्हा से लेकर तमाम छोटे बड़े दलों के नेता शामिल हुए थे.


टीएमसी से कांग्रेस को नुकसान


कांग्रेस नेता भले ही ममता बनर्जी के इस रुख से नाराज नजर आ रहे हो लेकिन ममता बनर्जी का इरादा भी साफ दिखर रहा है कि वह किस तरह खुद को राष्ट्रीय परिपेक्ष में स्थापित करने के लिए मेहनत कर रही हैं. हाल ही में हुए बंगाल विधानसभा चुनावों में जिस तरह ममता बनर्जी ने खेला हो का नारा देते हुए बीजेपी को चुनौती दी उसने निश्चित तौर पर ममता बनर्जी के कद को और ज्यादा बढ़ा दिया है. उसी का असर है कि आज की तारीख में तमाम विपक्षी पार्टी के नेता कांग्रेस की अपेक्षा ममता बनर्जी के साथ खड़े होने में खुद को ज्यादा सहज महसूस कर रहे हैं.


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