नंदीग्राम: पंश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने बड़ा दांव खेला है. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम रैली से बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने कहा है कि वो नंदीग्राम से भी चुनाव लडेंगी और अपनी परंपरागत सीट भवानीपुर से भी. आपको बता दें कि नंदीग्राम शुभेंदु अधिकारी का गढ़ माना जाता है, अधिकारी हाल ही में टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं. इसके साथ ही ममता बनर्जी ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि मेरे जिंदा रहते बंगाल को बिकने नहीं दूंगी.


रैली में ममता बनर्जी ने शुभेंदु अधिकारी का नाम लिए बिना कहा कि मैं किसी से ज्ञान नही लूंगी नंदीग्राम आंदोलन किसने किया? कोई कोई थोड़ा इधर उधर करने की कोशिश कर रहे है, चिंता का विषय नही है. बीजेपी पर हमलावर होते हुए उन्होंने कहा, ''बीजेपी वाशिंग मशीन है, बीजेपी काले को सफेद करने का वॉशिंग पाउडर है.


मुख्यमंत्री ने कहा, ''अखबारों को, मीडिया को डराकर अपने हिसाब से सर्वे बनाए जा रहा हैं, मुझे सब पता है. सारे वीडियो और व्हाट्सएप पर विश्वास मत करना, यह सब फेक है. बीजेपी झूठी खबरों को फैलाने का काम कर रही है. यह सफेद को काला करने वाले लोग हैं.


रैली में ममता बनर्जी ने अपने भाषण की 2007 में हुए सिंगूर आंदोलन से की. उन्होंने कहा कि आंदोलन सिंगुर से शुरू हुआ था, इसके बाद आंदोलन नंदीग्राम में हुआ. मैंने 26 दिन अनशन किया था और फिर कानून बदला गया था. उस वक्त मुझे जब पता चला कि यहां गोली चल रही थी, मैं यहां पहुंची. पेट्रोल बम से मुझे जलाने की कोशिश की गई थी . उन्होंने कहा कि आंदोलन के वक्त राज्यपाल ने मुझसे वापस जाने को कहा.


नंदीग्राम विधानसभा क्यों है खास?
2007 में नंदीग्राम आंदोलन के बाद साल 2009 में हुए विधानसभा उपचुनाव में टीएमसी ने पहली बार नंदीग्राम में अपना खाता खोला. टीएमसी की फिरोजा बीबी ने यह जीत हासिल की. शुभेंदु अधिकारी 2016 में नंदीग्राम से विधायक बने और ममता सरकार में मंत्री बनाए गए. टीएमसी छोड़ बीजेपी में शामिवल होने वाले शुभेंदु अधिकारी को नंदीग्राम आंदोलन का सूत्रधार माना जाता है.


साल 2007 में बुद्धदेव भट्टाचार्य सरकार की जमीन अधिग्रहण नीति के खिलाफ ममत बनर्जी ने आंदोलन कर देशभर में सुर्खियां बटोरी थीं. नंदीग्राम आंदोलन के बाद लेफ्ट सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा. इस आंदोलन से ममता बनर्जी की लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि साल 2011 में उन्होंने लेफ्ट के 34 साल के शासन को खत्म कर बंगाल की कुर्सी हासिल की.


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