Droupadi Murmu: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को आईएफएस ऑफिसर्स को संबोधित किया और अपने बचपन की बातें शेयर कीं. उन्होंने ऑफिसर्स को कहा कि आपको अपने सार्थक करियर बनाने के साथ-साथ जीवनदायी वनों के प्रति सहानुभूति के साथ काम करने की जरूरत है. राष्ट्रपति ने अपने बचपन की बातें साझा करते हुए कहा कि जब मैं छोटी थी तो हमारे पिताजी लकड़ियां काटकर लाते थे और उसी जलावन से खाना बनाया जाता था.


मुर्मू ने आगे बताया कि हमारे जीवन में वनों का, जंगलों का, पेड़-पौधों का बड़ महत्व है. ये हैं तभी हम सांस ले पा रहे हैं. ये हैं तभी हम भी जिंदा हैं. इसीलिए इनकी अवैध कटाई को रोकना और इनकी देखभाल करना आपका कर्तव्य होना चाहिए.


राष्ट्रपति ने अपने पिता की बात बताई


द्रौपदी मुर्मू ने बताया कि कैसे उनके पिता सूखी लकड़ियों को भी काटते समय उन्हें पहले प्रणाम करते थे, ये उनका स्वभाव था. जब मैं पूछती थी कि आप इन्हें काटने से पहले नमन क्यों करते हैं तो वे बताते थे कि इनको भी तकलीफ होती है. प्रकृति ने इन्हें भी जीवन दिया है, ये सूख गए तो क्या, हमारे काम आते हैं इसलिए हमें माफी मांगनी चाहिए, इन्हें प्रणाम करना चाहिए, 


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मुर्मू ने बताया कि उनके पिता धरती को भी नमन किया करते थे. उनका कहना है कि ये भूमि हमें जीवन देती है. ये अन्न देती है पेड़-पौधों को जन्म देती है. इसके भीतर जाने कितने कीड़े-मकोड़े आश्रय पाते हैं, इसीलिए ये जीवनदायिनी है और इनकी महत्ता को हमें समझने चाहिए, इन्हें बचाकर रखना हमारा फर्ज है.


राष्ट्रपति ने ऑफिसर्स से कहा आप सब वन अधिकारी हैं तो आपकी जिम्मदेरी इनके प्रति ज्यादा है. आप लोगों के मन में इनके प्रति प्रेम होना चाहिए, श्रद्धा होनी चाहिए. आज हम ही इनके दुश्मन बन गए हैं, हमारे दिल से इनके प्रति प्यार कम हो गया है.


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