Vice President Election 2022: पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मार्गरेट अल्वा (Margaret Alva) को विपक्ष ने अपना उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. रविवार को विपक्षी दलों की बैठक के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मार्गरेट अल्वा की उम्मीदवारी का एलान किया. मार्गरेट अल्वा को ये कांग्रेस (Congress) की तरफ से उनके द्वारा की गई वर्षों की सेवा का इनाम माना जा रहा है. मार्गरेट अल्वा को गांधी परिवार (Gandhi Family) के करीबियों में गिना जाता है. कांग्रेस और गांधी परिवार के साथ मार्गरेट अल्वा का करीबी रिश्ता देश की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के समय से बना हुआ है.


गांधी परिवार से उनकी करीबी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और राजीव गांधी, दोनों की सरकार में मंत्री रही थीं. मार्गरेट अल्वा के ससुर जोआचिम अल्वा और उनकी सास वायलेट भी कांग्रेस के संसद सदस्य रहे थे. उस वक्त उन्होंने भी खुद को इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस से जोड़ लिया और कर्नाटक में कांग्रेस की राज्य इकाई के लिए काम किया. 


कांग्रेस ने भेजा राज्य सभा


उन्होंने 1975 और 1977 के बीच अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के संयुक्त सचिव और 1978 और 1980 के बीच कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में कार्य किया. उन्हें संसद भी पहली बार कांग्रेस ने ही भेजा था जब वे 1974 में राज्य सभा के लिए चुनी गई थीं. इसके बाद वे तीन बार और, 1980, 1986 व 1992 में कांग्रेस की तरफ राज्य सभा भेजी गई थीं. 


इंदिरा और राजीव की सरकार में रही थीं मंत्री


मार्गरेट अल्वा 1984 में पहले इंदिरा गांधी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रही. इसके बाद उन्हें राजीव गांधी सरकार में भी संसदीय मामलों का केन्द्रीय राज्य मंत्री बनाया गया था. बाद में उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय में युवा मामले व खेल, महिला एवं बाल विकास के प्रभारी मंत्री के दायित्व को भी निभाया था. वे 1991 में कार्मिक, पेंशन, जन परिवेदना तथा प्रशासनिक सुधार (प्रधानमंत्री से सम्बद्ध) की केंद्रीय राज्य मंत्री बनायी गयीं. वे पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में भी मंत्री रही थीं. 


कांग्रेस के टिकट पर ही जीती थीं लोकसभा चुनाव


मार्गरेट अल्वा (Margaret Alva) ने 1999 में कांग्रेस (Congress) के टिकट पर ही कर्नाटक से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और विजयी होकर पहली बार लोकसभा (Lok Sabha) में गई थी. उन्होंने 2004 में फिर से कांग्रेस के टिकट पर ही लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार हार गई थीं. इसके बाद उन्होंने 2004 और 2009 के बीच अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में कार्य किया. कांग्रेस के राज में उन्हें पहले उत्तराखंड (Uttarakhand) और फिर राजस्थान (Rajasthan) का भी राज्यपाल (Governor) बनाया गया था. इसके अलावा वे गोवा और गुजरात की भी राज्यपाल रही हैं. 


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