वंदे मातरम को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा कि उन्हें वंदे मातरम पढ़ने या गाने पर आपत्ति नहीं है, लेकिन मुसलमान सिर्फ एक अल्लाह की इबादत करता है और मुसलमान अपनी इबादत में अल्लाह के सिवा किसी दूसरे को शामिल नहीं कर सकता.

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वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (8 दिसंबर, 2025) को लोकसभा में चर्चा की शुरुआत की और मंगलवार को राज्यसभा में भी इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हो सकती है. इस बीच अरशद मदनी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, 'वंदे मातरम का अनुवाद शिर्क से संबंधित मान्यताओं पर आधारित है, इसके चार श्लोकों में देश को देवता मानकर दुर्गा माता से तुलना की गई है और पूजा के शब्दों का प्रयोग हुआ है. साथ ही मां मैं तेरी पूजा करता हूं. यही वंदे मातरम का अर्थ है.'

मौलाना अरशद मदनी ने वंदे मातरम का अर्थ समझाते हुए कहा कि यह किसी भी मुसलमान की धार्मिक आस्था के खिलाफ है इसलिए किसी को उसकी आस्था के खिलाफ कोई नारा या गीत गाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि भारत का संविधान हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25) और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19) देता है.

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अरशद मदनी ने कहा, 'वतन से प्रेम करना अलग बात है, उसकी पूजा करना अलग बात है. मुसलमान…' उन्होंने कहा कि किसी को उसकी आस्था के खिलाफ नारा या गीत गाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.

वंदे मातरम पर संसद में विशेष चर्चा में भाग लेते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि भारत में आजादी इसलिए आई कि हमने मुल्क और मजहब को एक नहीं बनाया. उन्होंने कहा कि हुकूमत इस पर जोर-जबर नहीं करे, अगर जबरदस्ती करेंगे तो यह संविधान के खिलाफ है.

ओवैसी ने कहा कि जिन्होंने जंग-ए-आजादी में हिस्सा नहीं लिया, आज वे वतन से मोहब्बत की बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि देशभक्ति दिखानी है तो गरीबी खत्म की जाए. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना साधते हुए कहा कि क्या वे वंदे मातरम् को वफादारी का टेस्ट बनाना चाहते हैं. उन्होंने वंदे मातरम् गाने या इसका उद्घोष करने के मुद्दे पर कहा, 'हम अपनी मां की इबादत नहीं करते, हम कुरान की भी इबादत नहीं करते और इस्लाम में अल्लाह के सिवा कोई खुदा नहीं.'

 

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