अक्सर लोग कहते हैं कि भारत कभी सोने की चिड़िया था और मुगलों के आने से उसकी संपत्ति खत्म हो गई, लेकिन इतिहास के कई स्रोत इस धारणा को गलत साबित करते हैं. दरअसल मुगल शासन के दौरान ही भारत आर्थिक और सांस्कृतिक समृद्धि के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचा. विशेष रूप से अकबर से लेकर शाहजहां का काल भारतीय इतिहास की सबसे मजबूत आर्थिक स्थिति के तौर पर माना जाता है.
इतिहासकारों की राय में शाहजहां का समय वह दौर था, जब भारत दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे अमीर अर्थव्यवस्था था, लेकिन यह भी सच है कि इस समृद्धि की बुनियाद अकबर ने ही डाली. अकबर ने प्रशासनिक ढांचे को मजबूत किया, किसानों को राहत दी, राजस्व व्यवस्था को सरल बनाया और पूरे साम्राज्य में कानून-व्यवस्था को स्थिर रखा. इसी कारण अगले डेढ़ सौ वर्षों तक भारत विश्व अर्थव्यवस्था में शीर्ष पर बना रहा.
मुगल काल का स्वर्ण युग
अकबर के शासन में विभिन्न जातियों और समुदायों के बीच सद्भाव बना रहा. व्यापार तेजी से बढ़ा, कारीगरों और कलाकारों को संरक्षण मिला. देश के अंदरूनी बाजार बेहद शक्तिशाली बने. यह वही समय था जब भारत की अंतरराष्ट्रीय पहचान एक सम्पन्न, सुसंगठित और सांस्कृतिक रूप से उच्च राष्ट्र की बनी. इसके बाद जहांगीर और शाहजहां ने इसी नींव पर साम्राज्य को और मजबूत किया.
एलन मस्क और अकबर की संपत्ति
Aberdeen Asia और Money.com की रिपोर्ट के मुताबिक अकबर की संपत्ति आज के हिसाब से 21 ट्रिलियन डॉलर थी, जो भारतीय मुद्रा में देखें तो लगभग 1750 लाख करोड़ रुपये बनता है. वहीं फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक एलन मस्क की कुल संपत्ति अक्टूबर 2025 में लगभग 500 बिलियन डॉलर थी, जो भारतीय करेंसी में लगभग (लगभग 41-42 लाख करोड़ रुपये) तक होती है. इस तरह से देखा जाए तो एलन मस्क की संपत्ति अकबर के सामने ऊंट के मुंह में जीरे के समान है.
भारत की आर्थिक ताकत — दुनिया की संपत्ति का चौथाई हिस्सा
कई इतिहासकारों का अनुमान है कि मुगलकाल का भारत अकेले ही दुनिया की कुल अर्थव्यवस्था का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता था. यह आज के समय अमेरिका और चीन की संयुक्त आर्थिक शक्ति के बराबर समझा जाता है. उस दौर में यूरोप के अधिकांश देश बदहाली में थे और भारत की संपन्नता देखकर हैरान रह जाते थे.
विदेशी यात्रियों की नजर में ऐश्वर्य से भरा भारत
मुगल समय में भारत आने वाले विदेशी यात्री यहां की चमक-दमक देखकर दंग रह जाते थे. फ्रांसीसी यात्री टेवर्नियर ने लिखा कि भारत में धन की कोई कमी नहीं और यहां के बाज़ार संसार में सबसे समृद्ध हैं. फ्रांस्वा बर्नियर ने भारत को धरती का स्वर्ग कहा और बताया कि यहां की वस्तुएं यूरोप की तुलना में कहीं अधिक सुंदर और सस्ती थीं. अंग्रेज़ यात्री थॉमस रो मुगल दरबार की भव्यता देखकर स्तब्ध रह गया और उसने लिखा कि यूरोप के राजा भी इस वैभव की बराबरी नहीं कर सकते.
शाहजहां और मुगल दरबार की अद्भुत शान
शाहजहां का दरबार अपनी नोक-झोंक, सुंदरता और विलासिता के लिए दुनिया भर में चर्चा का विषय था. उनका प्रसिद्ध मयूर सिंहासन, जो सोने और कीमती रत्नों से बनाया गया था. आज की कीमत में लगभग 1 लाख 35 हजार करोड़ रुपये के बराबर आंका गया है. कई यात्रियों ने यह भी लिखा कि शाहजहांं विशेष अवसरों पर हीरों और मोतियों की वर्षा करवा देता था. ताज महल के आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक शाहजहां के वक्त अकेले सिर्फ जमीन से आने वाले रेवेन्यू 20.75 मिलियन पाउंड के बराबर था.
भारत इतना धनी कैसे बना
मुगल काल में भारत की समृद्धि कई वजहों से तेजी से बढ़ी. उपजाऊ खेतों ने अनाज का बड़ा उत्पादन दिया, कारीगरों के हुनर ने कपड़ा, धातु कला, जरी और रेशमी वस्त्रों को वैश्विक पहचान दिलाई और मसालों के व्यापार ने पूरी दुनिया में भारत को टॉप बना दिया. भारत प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर था और लगभग हर वस्तु का उत्पादन देश के अंदर ही होता था, जिससे आत्मनिर्भरता मजबूत बनी रहती थी.
ये भी पढ़ें: 'ममता बनर्जी को अब बहन नहीं कह सकता, अब वो...', बंगाल में बाबरी मस्जिद के निर्माण को लेकर बोले जगद्गुरु रामभद्राचार्य