यूपी में प्राइवेट स्कूल की फीस में बढ़ोतरी होने जा रही है, ऐसे में लोगों को टेंशन होने लगी है. एक तरफ फीस में बढ़ोतरी तो दूसरी तरफ बाकी सभी चीजों पर महंगाई की मार को देखते हुए लोगों का बजट बिगड़ना शुरू हो गया है. गाजियाबाद के रहने वाले सुदीप सिंह मल्टी नेशनल कंपनी में सेल्स मैनेजर है. उनकी पत्नी रमा सिंग हाउस वाइफ हैं. इन के दो बच्चे हैं और दोनों अभी स्कूल में पढ़ रहे है. बड़ा बेटा अथर्व 10वीं क्लास में पढ़ता है, जबकि बेटी प्रशंसा क्लास 7 में पढ़ती है. 


सुदीप सिंह कहते हैं कि हर जगह महंगाई बढ़ रही है, इसका सीधा असर मिडिल क्लास पर होता है. फीस बढ़ने की जब खबर सुनी तो रिश्तेदारों के भी फोन आने शुरू हो गए. पढ़ाई ऐसी चीज है, जिसमें आप कंप्रोमाइज नहीं कर सकते. जिस तरह की कंडीशन हमारे गवर्नमेंट स्कूल्स की है तो हमारा यह कंपल्शन है कि हमें बच्चों को प्राइवेट स्कूल में ही भेजना है. हमें अपने दूसरे खर्चों में कटौती करनी होगी. अभी कोरोना के दौर में आउटपुट कम हो गया है. स्कूल की फीस हो, कपड़े हों, लेबर हो हर चीज के रेट बढ़ गए हैं.  इनपुट कम हो गया और आउटपुट बढ़ गया है. इसमें बजट बैलेंस करना बहुत मुश्किल हो गया है.


उन्होंने कहा कि पिछले साल का जो फीस स्ट्रक्चर था वह 80,000 और ऊपर से ट्रांसपोर्टेशन फीस थी, जबकि कोविड-19 के बाद यह सब चीज़ बढ़ जाएगी. खासतौर से ट्रांसपोर्टेशन की फीस भी बढ़ जाएगी, क्योंकि पेट्रोल के दाम बढ़ रहे हैं. 20 से 25 परसेंट ट्रांसपोर्टेशन का खर्च बढ़ेगा. हमें सिर्फ फीस नहीं देना होता है, बहुत सारे हिडेन चार्जेस भी स्कूल्स के होते हैं, जो इस साल की शुरुआत में हमें देना होगा. वहीं हाउस वाइफ रमा सिंह कहती हैं कि घर के बजट पर महंगाई का बहुत असर होता है. सब्जी लेने जाओ तो उसका भी असर हम पर हो रहा है. हर चीज बहुत महंगी हो गई है. 


निहार साहू पेशे से बिजनेसमैन हैं और उनकी पत्नी सितिशा वर्किंग हैं. इनके दो बच्चे है, एक क्लास 10 में गाजियाबाद के प्राइवेट स्कूल में पढ़ता है और दूसरा बेटा शिहान क्लास 2 में है. दोनों बच्चो की फीस इस साल से बढ़ जाएगी और दोनों हसबैंड और वाइफ दोनों के वर्किंग होने के बावजूद भी वो कहते हैं कि जब हमने फीस बढ़ने की खबर सुनी तो सबसे पहले हमारा ध्यान बजट पर ही गया. हमारा पहले से जो बजट सेट था वो अब बढ़ जाएगा. बच्चा ट्यूशन भी जा रहा है, स्टेशनरी का खर्चा भी है, यूनिफॉर्म भी है. अगर स्कूल 10 परसेंट फीस बढ़ाएंगे तो बाकी चीजों की कीमत भी बढ़ जाएगी. लोड बढ़ जाएगा, ऐसे में और बजट पर लोड भी बढ़ जाएगा. बाकी चीजों में कटौती करनी पड़ेगी. 10 परसेंट एकदम न बढ़ाकर थोड़ा कम बढ़ाना चाहिए था. अभी तो पता चला है कि हाइक हुआ है. बड़े बच्चे की ढाई लाख रुपए साल की हम फीस देते हैं और एक नामी ट्यूशन में बच्चा हमारा मेडिकल की कोचिंग कर रहा है तो उसका भी खर्च है. 


सितिशा कहती हैं कि बच्चों की फीस के साथ-साथ बच्चों के खाने-पीने की चीजों का भी हमें ख्याल रखना होता है. ऐसे में एक तरफ दूध का रेट भी बढ़ गया है तो मैं दूध लेने से पहले भी दो बार सोचना पड़ता है. हमें 1 लीटर और एक्स्ट्रा दूध लेना है या नहीं ये सोचना होगा. हमें हर दिन के हिसाब से ₹8 ज्यादा पड़ता है तो महीने का ढाई सौ रुपए हमें ज्यादा पड़ने लगा है. बच्चों का सोशल सर्किल इतना हाई होता है कि उनके टिफिन के लिए भी हमें अच्छी चीज भेजनी होती है. सैलरी नहीं बढ़ रही है, लेकिन हमारे खर्चे लगातार बढ़ रहे हैं. 


नोएडा में बतौर प्राइवेट स्कूल में टीचर और साथ ही सिंगल पैरेंट मंजूषा फीस हाइक को लेकर दो अलग बातें कहती हैं. दोनों बेहद दिलचस्प  हैं, उन्होंने कहा कि अगर फीस में बढ़ोतरी हुई है तो टीचर की सैलरी में भी इंक्रीमेंट होना चाहिए. वहीं दूसरी तरफ अभिभावक के तौर पर कहती है कि फीस बढ़ने से बहुत ज्यादा बजट बिगड़ जाएगा, हालांकि अगर इंक्रीमेंट भी होता है तो फिर इसका ज्यादा असर शायद हम पर न हो. 


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