इलाहाबाद: गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के मामले की न्यायिक जांच की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने योगी सरकार ने सवाल पूछा है कि अस्पताल में बच्चों की मौत कैसे हई. साथ ही कोर्ट सरकार को यह भी बताने के लिए कहा है कि इंसेफेलाइटिस से लड़ने के लिए सराकर क्या कदम उठा रही है?


गौरतलब है कि बीआरडी मेडिकल में 10 अगस्त से 12 अगस्त के बीच 48 घंटे के भीतर 36 की मौत हो गई थी. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ कह चुके हैं कि मौत की वजह ऑक्सीजन सप्लाई का रुकना नहीं है, लेकिन डीएम की रिपोर्ट उन सारी दलीलों को बड़े कठघरे में खड़ा कर रही है.

गोरखपुर ट्रेजडी: नहीं थम नहीं रहा है बच्चों की मौत का सिलसिला, 8 और मासूमों की मौत

हादसे पर बनी डीएम की बनाई कमेटी की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑक्सीजन सप्लाई कंपनी पुष्पा सेल्स ने लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित की जिसके लिए वो जिम्मेदार है. लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई लगातार होती रहे, इसके प्रभारी डॉक्टर सतीश हैं, जो अपना कर्तव्य ना निभाने के पहली नजर में दोषी हैं.

ऑक्सीजन सिलेंडर का स्टॉक संभालने की जिम्मेदारी भी डॉक्टर सतीश पर हैं, जिन्होंने लॉग बुक में एंट्री ठीक समय से नहीं की. ना ही प्रिंसिपल ने इसे गंभीरता से लिया. प्रिंसिपल डॉक्टर राजीव मिश्रा को पहले ही कंपनी ने ऑक्सीजन सप्लाई रोकने की जानकारी दी थी.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में 10 अगस्त की शाम ऑक्सीजन सप्लाई का रुक गई थी. जिसकी वजह से 36 बच्चों की मौत हो गई थी. बताया गया कि जब अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई रुकी थी और बच्चों की जान सिर्फ एक पंप के सहारे टिकी हुई थी. तब से अबतक इसी अस्पताल में करीब 70 बच्चों की मौत हो चुकी है.