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1997 के उपहार सिनेमा हादसे के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश दिया. कोर्ट ने उन ट्रॉमा सेंटर्स के निरीक्षण के लिए कहा है जिनका निर्माण सिनेमा मालिक अंसल बंधुओं से वसूल की गई रकम से हुआ है. कोर्ट ने यह आदेश उपहार त्रासदी पीड़ित संघ (एसोसिएशन ऑफ विक्टिम्स ऑफ उपहार ट्रेजडी) की याचिका पर दिया. संस्था ने आरोप लगाया था कि 2015 में आए कोर्ट के आदेश का सही तरीके से पालन नहीं हुआ है.

क्या है मामला?13 जून 1997 को दिल्ली के उपहार सिनेमा हॉल में लगी आग में 59 लोगों की मौत हो गयी थी. अंसल बंधु इस सिनेमा हॉल के मालिक थे. 2007 में निचली अदालत ने दोनों को लापरवाही से जान लेने का दोषी मानते हुए 2 साल की सज़ा दी थी. इस सजा को हाई कोर्ट ने 1 साल कर दिया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों भाइयों (गोपाल और सुशील अंसल) से 30-30 करोड़ का जुर्माना लगाते हुए अब तक बिताई गयी सज़ा को ही पर्याप्त करार दिया. कोर्ट के आदेश के मुताबिक यह रकम दिल्ली में एक ट्रॉमा सेंटर (दुर्घटना पीड़ितों के इलाज के लिए विशेष हस्पताल) के निर्माण के लिए इस्तेमाल होनी थी.

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पीड़ित संघ की याचिकाएसोसिएशन ऑफ विक्टिम्स ऑफ उपहार ट्रेजडी (AVUT) ने कहा है कि अंसल बंधुओं ने अपनी सजा कम कराने के बावजूद इन ट्रॉमा केंद्रों को बनाने की जिम्मेदारी पूरी नहीं की. दिल्ली विद्युत बोर्ड (DVB) को 5 एकड़ ज़मीन देनी थी, लेकिन वह भी नहीं दी गई है. इस पर कोर्ट ने दिल्ली सरकार से ट्रॉमा केंद्रों की स्थिति पर जवाब मांगा.

सरकार ने क्या कहा?सरकार की ओर से बताया गया कि जुर्माने के तौर पर वसूली गई 60 करोड़ की राशि ट्रॉमा सेंटर के निर्माण के लिए अपर्याप्त थी. सरकार ने इसमें अपनी तरफ से भी काफी पैसे लगा कर द्वारका के इंदिरा गांधी अस्पताल सहित 3 हस्पतालों ट्रॉमा सुविधाओं को विकसित किया है. इनमें से द्वारका का सेंटर अब पूरी तरह चालू स्थिति में है.

कोर्ट ने क्या कहा?जस्टिस सूर्य कांत, उज्ज्वल भुइयां और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा, "यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि ट्रॉमा सेंटर्स केवल नाम के लिए न हों. उनमें 24 घंटे आपात सुविधाएं उपलब्ध हों." कोर्ट ने पीड़ित संघ से कहा कि वह अपने प्रतिनिधि का नाम दे जो साइट विज़िट में शामिल हो. कोर्ट ने यह माना कि 60 करोड़ रुपए का जुर्माना 'peanuts' (बहुत मामूली रकम) था. 5 एकड़ जमीन का सवाल उठा रहे याचिकाकर्ता से कोर्ट ने कहा कि जो सेंटर बना है, वह सरकारी जमीन पर ही बना है.

किन बातों की जानकारी मांगी?

कोर्ट के आदेश के मुताबिक निरीक्षण में यह देखा जाएगा -

  • क्या ट्रॉमा सेंटर चौबीसों घंटे डॉक्टर व स्टाफ के साथ चालू हैं
  • क्या उनमें आपात स्थिति से निपटने की सुविधाएं हैं?
  • क्या ट्रांसपोर्ट और जरूरी संसाधन उपलब्ध हैं?
  • यह सेंटर कितने मरीजों को तत्काल संभाल सकते हैं?

कोर्ट ने 5 एकड़ ज़मीन आवंटन की स्थिति पर भी जानकारी मांगी है. कोर्ट ने संकेत दिया है कि अगर उसे कमियाँ मिलीं तो वह नए आदेश जारी कर सकता है. इसमें अतिरिक्त फंडिंग, निगरानी समिति और ट्रॉमा सेंटर निर्माण की समय-सीमा तय करना जैसी बातें शामिल हो सकती हैं.