पानीपत के मैदान से मुगलों को अकूत संपदा हाथ लगी थी. मुल्ला अब्दुल कादिर बदायूंनी ने मुंतखब-उत-तवारीख में लिखा है कि पानीपत के मैदान से करीब डेढ़ हजार हाथी और इतना अकूत खजाना था कि जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. मुगल सेना के कब्जे में आया.

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डॉ. आशीर्वादी लाल श्रीवास्तव ने अपनी पुस्तक मुगलकालीन भारत में लिखा है कि हेमू के पतन के बाद उनकी सेना छिन्न भिन्न हो गई. उसकी पत्नी और पिता दिल्ली से मेवात भाग गए. मुल्ला बदायूंनी ने लिखा है कि जीत के दूसरे दिन अकबर पानीपत आया और उसने युद्ध के मैदान में कटे हुए सिरों की मीनार बनवाई. 

'मंगोल इस्लाम को अपना दुश्मन समझते थे'भारतीय इतिहास में इस प्रकार का पहला लिखित उल्लेख ईस्वी 1305 में मिलता है, जब दिल्ली के तुर्क सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली में बदायूं दरवाजे पर मंगोलों के कटे हुए सिरों की 2 मीनारें बनवाई थीं. उस समय मंगोल इस्लाम को अपना दुश्मन समझते थे. 

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ईस्वी 1398 में अकबर के पूर्वज तैमूर लंग ने दिल्ली की हिंदू जनता के सिर काटकर उनकी मीनारें बनवाई थीं. ईस्वी 1505 में बाबर ने हिंदुकुश पर्वत में रहने वाले हिंदू अफगानों के सिर काटकर उनकी मीनारें बनवाई थीं. ईस्वी 1526 में बाबर ने पानीपत के मैदान में इब्राहिम लोधी के सैनिकों का सिर काटकर मुंड चौरा बनवाया था.

दुश्मनों के सिर काटकर बनवा दिया जाता था मुंड चौरा मुस्लिम इतिहासकारों के अनुसार युद्ध में दुश्मनों के सिर काटकर मुंड चौरा बनवा दिया जाता था. बाबर ने अपनी सनक पूरी करने के लिए इस मुंड चौरे में अपने सैनिकों के भी सिर काटकर डलवाए. 

गाजी की उपाधि का क्या मतलब है ?ईस्वी 1527 में बाबर ने खानवा की पहाड़ी पर हिंदू सैनिकों के कटे हुए सिरों की मीनारें बनवाकर गाजी की उपाधि धारण की, जिसका अर्थ होता है काफिर पर बिजली गिराने वाला या काफिर पर बिजली बनकर गिरने वाला.  

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