नई दिल्ली: देश में पिछले कई महीनों से केंद्र सरकार की ओर से लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. किसानों की ओर से इन कानूनों को रद्द करने की मांग की जा रही है तो वहीं सरकार भी इन कानूनों को रद्द न करने की बात पर अड़ी हुई है. इस बीच किसानों का कहना है कि सरकार उनके प्रति गंभीर नहीं है.


कृषि कानूनों के विरोध में किसानों की अगुवाई करने वाले संगठनों का संघ संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया कि सरकार किसानों की मांग को लेकर गंभीर नहीं है. मोर्चा की ओर से जारी एक बयान में किसान नेता डॉ. दर्शनपाल ने कहा कि किसानों की मांग कर्जा मुक्ति और फसलों के पूरे दाम की रही है, जिस पर सरकार गंभीर नहीं है.


तीन कानूनों का विरोध


दरअसल, संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आंदोलन कर रहे किसान केंद्र सरकार के जरिए पिछले साल सितंबर में लाए गए कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और किसान सेवा पर करार अधिनियम 2020 एवं आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की मांग कर रहे हैं.


महापंचायतों का ऐलान


इस बीच किसान महापंचायतों का दौर लगातार जारी है. मोर्चा ने बताया कि पंजाब के जगरांव में विशाल सभा का आयोजन किया गया, जिसमें किसानों के साथ अन्य नागरिकों ने भी बढ़-चढ़कर भागीदारी दिखाई. वहीं मोर्चा की तरफ 12 फरवरी से लेकर 23 फरवरी के दौरान की जाने वाली महापंचायतों के कार्यक्रमों की घोषणा भी की गई है.


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