रूस और यूक्रेन में जंग जारी है. इस बीच वहां फंसे भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाने के लिए सरकार ऑपरेशन गंगा चला रही है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि यूक्रेन में फंसे नागरिकों के मुद्दे को सरकार ने गंभीरता से लिया. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि मुझे लगता है कि किसी और देश का ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जिसने इतनी गंभीरता से नागरिकों को घर लाने का काम किया. इस मामले में बड़े-बड़े देश भी विफल रहे हैं. चीन ने 5 तारीख को पहली बार कुछ लोगों को निकाला. अमेरिका ने सलाह दी की पहले ही निकल जाओ नहीं तो हम ज़िम्मेदार नहीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विषय को खुद गंभीरता से लिया. उन्होंने इस मसले पर 8 हाई लेवल मीटिंग की. हर बैठक के बाद कठोर कदम उठाए जाते थे, कि कैसे एक-एक नागरिक को भारत में वापस लाया जाए.


'पीएम ने यूक्रेन से निकालने के लिए कूटनीति का इस्तेमाल किया'


केंद्रीय मंत्री आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने करीब 11 बार दुनिया के बड़े-बड़े नेताओं से बात की. कूटनीति का हर संभव प्रयोग किया गया, जिससे हमारे नागरिक सकुशल वापस आ सकें. 20,000 से अधिक भारत के नागरिक, जिसमें अधिकतर छात्र हैं, जो यूक्रेन में फंसे थे, उन्हें तीन हफ्ते के अंदर भारत में वापस लाना, ये हम सभी लोगों के लिए बहुत गर्व की बात है. पीएम मोदी ने सरकार के हर तंत्र को समाज के अलग-अलग लोगों को इस काम में लगाया था, ताकि हमारे नागरिक सुरक्षित वापस आ सकें. प्रधानमंत्री के अथक प्रयासों से सरकार ये सफल evacuation कर पाई. मैं इस कार्य में शामिल उन सभी संस्थाओं को, कर्मचारियों को धन्यवाद देना चाहता हूं. इतने संकट और इतनी समस्याओं के बीच जिस प्रकार पीएम नरेन्द्र मोदी ने पूरे अभियान का नेतृत्व किया, ऐसा कोई अन्य उदाहरण नहीं है. 


पीएम ने कई देशों के प्रमुखों से की थी बात


केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने चार वरिष्ठ मंत्रियों को यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेजा, उन्होंने वहां के राष्ट्र प्रमुखों से बात की, जिस कारण हर संभव सहयोग भी हमें उन देशों से मिला. इस संकट के समय में प्रधानमंत्री ने इस अभियान का नेतृत्व किया. ऐसा किसी और देश का उदाहरण नहीं होगा, जिसने इतनी गंभीरता से अपने नागरिकों को वापस लाने का काम किया. भारत से जुड़े हुए जो लोग यूक्रेन और अन्य आसपास के देशों में रहते हैं, उद्योग और NGOs के योगदान और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से पूरी सरकार ये सफल निकासी (Evacuation) कर पाई. भारत के नागरिक होने के तौर पर विश्वास खड़ा हुआ कि किसी भी संकट पर देश के प्रधानमंत्री हमें संकट से निकालेंगे. 


20 हजार छात्रों को निकालना आसान नहीं था- पीयूष गोयल


20,000 से ज्यादा छात्र यूक्रेन संकट में फंसे थे लेकिन महज 3 हफ्ते में सबको सकुशल निकालने का काम किया गया. इससे हमारे देश की साख का पता चलता है. अंतिम दस्ता छात्रों का निकल चुका है. जल्द ही वो दूसरे देशों के जरिये बॉर्डर पार कर जाएंगे. केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि मैं राजनैतिक दलों से पूछना चाहता हूं कि संकट के समय पर भी दुर्भाग्य से कांग्रेस और उनके कुछ बड़े नेता गलतफ़हमी पैदा करने का प्रयास किया. विपक्षी दलों की राज्य सरकारों ने संकट के समय राजनीति करने का काम किया. रूस के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे. इससे संकट पैदा हो रहा था.


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