यूक्रेन में जारी जंग (Ukraine Russia War) के बीच वहां से लगातार छात्र देश लौट रहे हैं. वापस आने वाले भारतीय छात्रों (Indian Students) का कहना है कि वहां बॉर्डर पर मिर्च स्प्रे, थप्पड़ और धक्का-मुक्की का सामना करना पड़ रहा है. वहीं पैरंट्स का कहना है कि मजबूरी में हमें दिल के टुकड़े को बाहर विदेश में पढ़ने के लिए भेजना पड़ता है. अभिभावकों ने सरकार से मांग करते हुए कहा है कि आत्मनिर्भर भारत में अपने देश में बच्चों को सुविधाएं मिलनी चाहिए. पीयूष नाम के एक छात्र ने बताया कि उनके सामने ही ब्लास्ट हुआ था. हमें तीन-तीन घंटे सामान लेने में लगे. बॉर्डर पर पहुंचने में 2 दिन लगे और 12 किमी पैदल चलना पड़ा. पीयूष ने आगे बताया कि वो बॉर्डर क्रास कर चुका था लेकिन उन्हें धक्का दिया गया, थप्पड़ मारा, कपड़े फटे और वापस भेज दिया. उसके 6 घंटे बाद बॉर्डर क्रॉस कर पाया. ऑपरेशन गंगा के तहत एअर इंडिया की स्पेशल फ्लाइट (Air India Flight) मंगलवार देर रात बुखारेस्ट से दिल्ली पहुंची. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दिल्ली एयरपोर्ट पर छात्रों का स्वागत किया.


छात्रों और अभिभावकों का दर्द


यूक्रेन (Ukraine) से लौटे कुछ भारतीय छात्रों (Indian Students) का कहना है बॉर्डर पर आधे घंटे में एक बार गेट खोलते हैं और एक बच्चे को निकालते हैं जबकि बच्चे 20 हजार हैं. वहीं अभिभावक पीएम मोदी से सवाल कर रहे हैं कि ये बच्चे बाहर क्यों गए? मजबूर होकर कोई अपने कलेजे के टुकड़े को बाहर भेजता है. वहीं पीयूष की मां का कहना है कि मेरे लिए हर सेकेंड भारी था. बहुत घबराहट होती थी. बहुत डर लगता था. बच्चे कब हमारे पास आएंगे. जिंदगी मौत की लड़ाई लड़ के आएं हैं. पीयूष कहते हैं कि वापस आकर सुकून मिल रहा है. परिस्थितियां अगर अच्छी हुई तो वापस जाएंगे. वहीं मेरठ के रहने वाले जयवीर सिंह की बेटी फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट है. वो बताती है कि वहां पर फायरिंग हो रही थी. बॉर्डर नहीं खोला जा रहा था. बॉर्डर क्रास नहीं करने दिया जा रहा था. अगर हम कोशिश कर रहे थे तो हमारी आंखों में मिर्च स्प्रे मारा जा रहा था. वहां वेजिटेरियन के लिए बहुत प्रॉब्लम है. 


यूक्रेन में फंसे छात्रों को बॉर्डर क्रॉस करने में आ रही है दिक्कत


जयवीर की बेटी ईवाने फ्रांसिको यूनिवर्सिटी में फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट है. छात्रा के पिता ने कहा कि बेटी को वापस भेजना पड़ेगा क्योंकि करियर का सवाल है. सितंबर तक ऑनलाइन क्लास है. उसके बाद वापस भेजना पड़ेगा. यूक्रेन में पढ़ाई करने वाले एक और छात्र आदित्य बंसल बताते हैं कि उन्होंने 8 किमी पैदल ट्रैवल किया. बॉर्डर क्रॉस करने में बहुत समय लगा. वहां सेना छात्र और छात्राओं के साथ ठीक व्यवहार नहीं कर रही है. ठंड बहुत थी. रिस्क था कि बॉर्डर क्रॉस कर पाएंगे या नहीं, घर पहुंच पाएंगे या नहीं. वहीं छात्र आदित्य की मां कहती हैं कि इतना अच्छा प्रयास शायद किसी दूसरे देश ने नहीं किया है. थोड़ा यूक्रेन बॉर्डर पर ध्यान दिया जाए. वहां बच्चे सेफ रहें, जो मिसमैनेजमेंट हो रहा है वो सही हो. 


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