Udhayanidhi Stalin Controversy: सनातन धर्म को लेकर तमिलनाडु के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन के बयान से शुरू हुआ विवाद थमता नजर नहीं आ रहा. उनके बाद दो और नेताओं ने सनातन पर आपत्तिजनक बयान दिए हैं. द्रविड मुनेत्र काषगम (डीएमके) के सांसद ए राजा ने सनातन की तुलना एचआईवी से की है. वहीं, राष्ट्रीय जनता दल के नेता जगदानंद सिंह ने तिलक लगाने वालों को देश को गुलाम बनाने वाला बताया है.


उदयनिधि स्टालिन अपने बयान पर सफाई दे चुके हैं. उनका कहना है कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया. उन्होंने कहा कि वह किसी धर्म के दुश्मन नहीं हैं. साथ ही उदयनिधि ने केंद्र सरकार पर हमला बोला और कहा कि 9 सालों की अपनी असफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए वह सनातन का उपयोग कर रही है.


ए राजा ने की सनातन की एचआईवी से तुलना
डीएमके सांसद ए राजा ने कहा कि सनातन पर उदयनिधि का रुख नरम था. सनातन की तुलना सामाजिक कलंक वाली बीमारियों से की जानी चाहिए. ए राजा ने सनातन को घातक बीमारी बताया है. उन्होंने कहा कि सनातन धर्म सामाजिक बीमारी है, जो कुष्ठ रोग और एचआईवी से भी ज्यादा खतरनाक है.


आरजेडी नेता जगदानंद भी विवाद में कूदे
बिहार में सत्ताधारी गठबंधन में शामिल आरजेडी के नेता और लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी जगदानंद भी सनातन पर चल रहे विवाद में कूद पड़े हैं. उन्होंने कहा कि टीका लगाकर घूमने वालों ने ही देश को गुलाम बनाया है. प्रदेश कार्यालय में मिलन समारोह के दौरान जगदानंद ने कहा कि भारत को गुलाम किसने बनाया जानते हैं आप लोग. संघ ने गरीबों को कुचला, संघ ने जादू टोना करना सिखाया, टीका लगाकर घूमने वाले लोगों ने भारत को गुलाम बनाया. बीजेपी के जय श्री राम के मुद्दे पर जगदानंद सिंह ने कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं से कहा, 'आप जानती हो हमारे ग्रंथों में महिला का नाम पहले आता है, राम के पहले सीता है, विष्णु के पहले लक्ष्मी, ब्रह्मा के पहले सरस्वती और शिव के पहले शक्ति की प्रतीक मां पार्वती का नाम आता है, लेकिन बीजेपी के दंगाई लोग जय श्री राम कहकर भगवान के नाम पर राजनीति करते हैं.'


उदयनिधि के किस बयान पर मच रहा बवाल
2 सितंबर को उदयनिधि स्टालिन तमिलनाडु प्रोग्रेसिव राइटर्स एंड आर्टिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ सीपीआई (एम) की ओर से आयोजित 'एनीहिलेशन ऑफ सनातन' सम्मेलन में शामिल हुए थे. यहां उन्होंने कहा था, 'सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है. सनातन क्या है? यह संस्कृत भाषा से आया शब्द है. सनातन समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ होने के अलावा कुछ नहीं है. सनातन का क्या अभिप्राय है? यह शास्वत है, जिसे बदला नहीं जा सकता, कोई सवाल नहीं कर सकता है और यही इसका मतलब है.' उदयनिधि ने यह भी कहा कि सनातन ने लोगों को जातियों के आधार पर बांटा है. उन्होंने यह भी कहा था कि जैसे हम डेंगू, मच्छर, मलेरिया और कोरोना का विरोध नहीं कर सकते हैं, उसे मिटाना है. वैसे ही सनातन को भी मिटाना है.


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