SC On Triple Talaq Case: देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट में उलेमा-ए-हिंद द्वारा तीन तलाक की वैधता को लेकर दायर की गई याचिका में केंद्र सरकार ने अपना जवाब दाखिल किया है. इस जवाब में उसने तीन तलाक को आपराधिक कानून घोषित किए जाने को लेकर वकालत की है. 


सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आखिर क्यों उसको तीन तलाक को लागू करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि मुस्लिम पुरुषों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद इस प्रथा को जारी रखा.


सरकार ने 117 पेज का हलफनामा दायर करके कहा, सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल तालक को अवैध घोषित करने के बावजूद देश के मुस्लिम समुदाय ने इस प्रथा को जारी रखा है. इसलिए, अवैध तलाक के पीड़ितों की शिकायतों के निवारण के लिए राज्य सरकार को यह महसूस हुआ कि इसके लिए एक कानून होना चाहिए. इसलिए सरकार ने एक नए कानून को बनाया. 


'सिर्फ सरकार को यह अधिकार...'
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी कहा, सिर्फ विधायिका तात्कालीन सरकार की अध्यक्षता में यह फैसला लेने और उस पर कानून बनाने का अधिकार रखती है, राज्य के लोगों के लिए सामाजिक तौर पर क्या अच्छा है और नहीं. 


अदालत की उस टिप्पणी पर भी केंद्र सरकार ने प्रतिक्रिया दी, जिसमें अदालत ने कहा था उन्होंने तीन तलाक को सिर्फ अवैध घोषित किया था लेकिन सरकार ने एक कदम आगे बढ़कर उसको आपराधिक घोषित करते हुए तीन साल की सजा दे दी. केंद्र सरकार ने कहा, अदालत को यह कहने से बचना चाहिए था, जो केंद्र सरकार ने किया है वह पर्याप्त नहीं है. 


क्या है तीन तलाक?


तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत वह प्रथा है जिसमें जब एक व्यक्ति अपनी पत्नी को एक बार में तीन तलाक बोल देता है. इस तलाक में व्यक्ति फोन, मेल, मैसेज या पत्र के जरिए तीन तलाक दे देता है तो इसके बाद तुरंत तलाक हो जाता है.


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