कोविड 19 की दूसरी लहर की मार झेल चुका भारत अब धीरे धीरे इससे उबर रहा है. इसी वजह से राजमार्गों पर यातायात वापस आ रहा है. इस बात की पुष्टि फास्टैग के आधिकारिक आंकड़ों से की गई है. दरअसल जून के अंत तक इस इलेक्ट्रॉनिक मोड के जरिए एक दिन में इकट्ठा किया गया टोल 97 करोड़ रुपए रहा. जबकि 1 जुलाई तक टोल 103 करोड़ रुपए  तक पहुंच गए है. वहीं आधिकारिक डेटा के मुताबिक दूसरी लहर आने से पहले टोल मार्च में 107 करोड़ रुपए के दैनिक उच्च स्तर से कुछ ही कम था.


सरकार ने जब से फास्टैग सिस्टम लागू किया है, ये टैग 780 टोल प्लाजा में टोल लेने का पसंदीदा तरीका बन चुका है. जानकारी के मुताबिक 1 जुलाई को 63 लाख फास्टैग का लेनदेन दर्ज हुआ था, वहीं पूरे जून में सरकार ने फास्टैग टोल के जरिए 2,576 करोड़ रुपए  कमाए हैं, जो मई से 21 प्रतिशत ज्यादा है. अधिकारियों ने बताया है कि तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और राजस्थान जैसे कुछ राज्यों को छोड़कर फास्टैग लेनदेन में तेजी सामान्य बनी हुई है.


कोविड की वजह से फास्टैग पर पड़ा असर


जानकारी के मुताबिक मार्च में दूसरी लहर के हिट होने से ठीक पहले तक फास्टैग का इस्तेमाल एक महीने में 19.3 करोड़ लेनदेन के चरम पर पहुंच गया था, लेकिन अप्रैल से जब कोविड के मामले बढ़ने लगे तो ये आंकड़ा लगभग 2,776 करोड़ रुपए के 16.4 करोड़ लेनदेन तक गिर गया था.


टैग डेटा से मिला दूसरी लहर के कम होने का संकेत


मई में जब कोविड के एक्टिव केस 90 लाख के चरम पर पहुंच गए थे, तब टैग डेटा ने लगभग 2,100 करोड़ रुपए का 11.6 करोड़ का लेनदेन किया था. वहीं अधिकारियों ने कहा कि जून के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि दूसरी लहर का प्रभाव अब कम हो रहा है.


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