United Nations Resolution: भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसमें कब्जे वाले फिलस्तीनी क्षेत्र में बस्तियां बसाने की इजरायली गतिविधियों की निंदा की गई है. पूर्वी यरुशलम सहित कब्जे वाले फिलस्तीनी क्षेत्र और कब्जे वाले सीरियाई गोलान में इजराइली बस्तियां शीर्षक वाले प्रस्ताव को यूएन काउंसिल की विशेष राजनीतिक समिति ने 145 के रिकॉर्ड मतों से मंजूरी दे दी. 


इस बीच तृणमूल के राष्ट्रीय प्रवक्ता साकेत गोखले ने एक्स पर मतदान परिणाम शेयर करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र में कल एक प्रस्ताव पेश किया गया ,जिसमें कब्जे वाले फिलिस्तीन में इजरायली बस्तियों को अवैध घोषित करने की मांग की गई. उन्होंने कहा कि बहुत खुशी है कि भारत ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. फिलिस्तीन पर इजरायल का कब्जा अवैध है और अब इजरायल का रंगभेद खत्म होना चाहिए.






प्रस्ताव के विरोध में सात वोट पड़े
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक गुरुवार (9 नवंबर) को हुए मतदान में प्रस्ताव के विरोध में सात वोट पड़े और 18 सदस्य देश अनुपस्थित रहे. प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने वालों में कनाडा, हंगरी, इजरायल, मार्शल द्वीप, संघीय राज्य माइक्रोनेशिया, नाउरू और अमेरिका शामिल थे.


145 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में किया मतदान
भारत, बांग्लादेश, भूटान, चीन, फ्रांस, जापान, मलेशिया, मालदीव, रूस, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और ब्रिटेन सहित 145 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया.  प्रस्ताव की शर्तों के अनुसार महासभा पूर्वी यरुशलम सहित कब्जे वाले फिलस्तीनी क्षेत्र और कब्जे वाले सीरियाई गोलान में बस्तियां बसाने की गतिविधियों और जमीन पर कब्जा और नागरिकों के जबरन स्थानांतरण से जुड़ी हर गतिविधि की निंदा करती है.


'रियाई गोलान में इजरायली बस्तियां अवैध'
प्रस्ताव में इस बात को दोहराया गया है कि कब्जे वाले सीरियाई गोलान में इजरायली बस्तियां अवैध हैं और शांति, आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए बाधा हैं. यहां इजरायली गतिविधियों को तत्काल और पूर्ण रूप से बंद करने की मांग दोहराई गई है.


संघर्ष विराम संबंधित प्रस्ताव में भारत ने नहीं लिया था हिस्सा
गौरतलब है कि भारत ने पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस प्रस्ताव पर हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया था, जिसमें इजराइल-हमास संघर्ष में तत्काल संघर्ष विराम और गाजा पट्टी बिना किसी रुकावट मानवीय सहायता पहुंचाने का आह्वान किया गया था.


संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने मतदान पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि ऐसी दुनिया में जहां मतभेदों और विवादों को बातचीत से हल किया जाना चाहिए, इस प्रतिष्ठित संस्था को हिंसा का सहारा लेने की घटनाओं पर चिंतित होना चाहिए.


पटेल ने कहा था कि राजनीतिक उद्देश्यों को हासिल करने के लिए हिंसा का इस्तेमाल करना भारी नुकसान पहुंचाता है और इससे कोई भी टिकाऊ समाधान नहीं निकलता.


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