Haj 2022: "कि एक निगाह मोहब्बत से देखिए एक हज ए मकबूल का सवाब " की इस हसरत के साथ हाजियों की वतन वापसी का सिलसिला शुरू हो गया है. कोरोना (Corona) महामारी के बाद दो साल के बाद

  मक्का (Mecca) और मदीना (Medina) के मुकद्दस सफर से जायरीन यानि हाजियों की वापसी का सिलसिला शुरू हो गया है. शनिवार को दिल्ली एयरपोर्ट (Delhi Airport) पर हाजियों के इस्तकबाल के लिए पहुंचे लोगों और उनके परिवार वालों के मिलन के ये पल भावुक कर देने वाले थे. ये सभी भीगी पलकों और रूंधे गले से एक-दूसरे को निहारते और गले मिलते नज़र आए. सऊदी अरब (Saudi Arabia) से पहली फ्लाइट से 410 हाजी वापस लौटे हैं. इस वापसी के साथ ही हज ए मकबूल की हसरत दिल में लिए हाजी अपने परिवार वालों के साथ अपने घरों को रवाना हुए. 


रात दो बजे से ही एयरपोर्ट पहुंचे लोग


हज जिसका नाम सुनकर ही लोग मुकद्दस हो जाते हैं. इसी 40 दिनों के पाक सफर से हाजियों की वतन वापसी का सिलसिला शुरू हो गया है. शनिवार को भारतीय हाजियों की पहली फ्लाइट दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंची. इससे 410 हज से वापस लौटे हैं. वापस लौटने वाले इन हाजियों में दिल्ली के136, यूपी के 269, हरियाणा के तीन और जम्मू कश्मीर के दो हाजी रहे. इस पाक सफर से लौटे हाजियों के इस्तकबाल में एयरपोर्ट पर रात दो बजे से ही उनके परिवार और परिचित एयरपोर्ट पर उनके इंतजार में पलक बिछाए रहे. हाजियों के एयरपोर्ट से बाहर आने वाला नजारा भावुक करने वाला रहा. हाजी और उन्हें लेने आए लोग गले मिलते, हाथ मिलाते और जज्बातों में आंखें भिगोते देखे गए. दरअसल ये पल ही भावुक करने वाला हाजी अल्लाह के दरवाजे पर हाजिरी लगाकर खुश हो रहे थे, तो उनके परिजन इस बात से उत्साह में थे कि उनके अपने दुआ करके लौट आएं हैं. हाजियों के लिए सरकार की तरफ से भी सहूलियतें दी गईं थीं.


हज हर मुसलमान का एक पाक ख्वाब


हज करना दुनिया के हर मुसलमान का एक पाक ख्वाब होता है. जिंदगी रहते हर एक मुसलमान हज करने की ख्वाहिश रखता है. वो खुशनसीब होते हैं, जो हज का सफर मुक्कमल कर पाते हैं. कहा जाता है कि हज से पहले हक अदा करने वालों को ही ये पाक सफर नसीब हो पाता है, इसलिए पहले लोगों को अपने सभी हक अदा करने चाहिए. इसके बाद हज से वापस आकर हज की हिफाजत की फिक्र में अपनी बाकि की जिंदगी बितानी चाहिए. जानकार मानते हैं कि हदीस में मां-बाप को मोहब्बत की नजर से देखने वालों को हर नजर के बदले हज-ए-मकबूल का सवाब नसीब मिलता है. तभी कहते हैं कि "एक निगाह मोहब्बत से देखिए एक हज ए मकबूल का सवाब" और यही हसरत आज हज से वापस आने वाले दिल्ली एयरपोर्ट से बाहर आए हाजियों के आंखों में दिखी. सभी ने अपनी ज़िंदगी में इस नेक अमल की सीख को खुद की ज़िंदगी मे उतारने की हामी भरी.


गौरतलब है कि भारत से हज यात्रियों को लेकर पहली फ्लाइट 6 जून सोमवार को रवाना हुई थी. जून के पहले सप्ताह में जब ये लोग हज के लिए रवाना हो रहे थे. तब खुदा की बारगाह में हाजिरी लगाने की खुशी इनके चेहरे पर साफ झलक रही थी. आलम ये था कि रवानगी के वक्त अपनों से बिछड़ने का गम भी इस पर पर गालिब नहीं हो पाया था. इसकी वजह थी कि वे उस मुकाम पर रवाना हो रहे थे, जिसकी हसरत मुस्लिम ताउम्र रहती है. इस्लाम की पांच अहम बुनियादी चीजों में से एक हज का सफर भी है. ये हर मुसलमान पर फर्ज़ माना जाता है, लेकिन इसके साथ ही ये बात भी है कि हज पर जाने वाले के पास इतनी रकम होनी चाहिए कि वह इस पाक सफर को बगैर किसी परेशानी के साथ कर पाएं. उसके घर में किसी तरह की हारी- परेशानी तारी न हो. ये बस पूरा होने के बाद ये जरूरी नहीं कि हर कोई इस सफर पर जा पाएं. सऊदी अरब की तरफ हर देश को हज यात्रियों के लिए एक कोटा दिया जाता है. इस कोटे में नंबर नहीं आने पर चाहने पर भी लोग हज नहीं जा पाते हैं.


अराफात के बाद कहलाते हैं हाजी


हज यात्रा में आठ, नौ, 10 की तारीखें बेहद अहम मानी जाती है. इसमें आठ तारीख की खास अहमियत होती है. सात तारीख को खाना ए काबा के तवाफ़ (परिक्रमा) होती है. इसके बाद ही हज यात्री आठ तारीख को अराफात के मैदान में पहुंचते हैं. दरअसल इस दिन ही हज यात्री मक्का में मैदान ए मीना (Mina) से पहले अराफात आते हैं. यहां ज़ौहर और अस्र (दोपहर की नमाज) पढ़ते हैं और दुआएं करते हैं. इशा की नमाज तक हज यात्री यहीं रहते हैं. ये हज के अरकान (प्रक्रिया) का एक अहम हिस्सा है. यहां पहुंचने के बाद ही हज यात्री को हाजी कहा जाता है. इसके बाद ये मुस्दल्फा के मैदान से  कंकड चुनते हैं जो मीना में शैतान को मारे जाते हैं.  


ऐसा रहा हज यात्रा 2022 का शेड्यूल


गौरतलब है कि कोरोना की वजह से दो सालों 2020 और 2021 में हज यात्रा पर पाबंदी थी. केवल सऊदी अरब के मुसलमान ही इस दौरान हज यात्रा पर पाए. भारत की केंद्रीय हज कमेटी (Haj Committee of India) ने इस साल कुल 79,237 को हज करने की मंजूरी दी थी. इनमें 50 फीसदी महिलाएं रहीं. साल 2019 की तुलना में साल 2022 की हज यात्रा महंगी रही. गौरतलब है कि साल 2018 में केंद्र सरकार ने हज यात्रा पर सब्सिडी खत्म कर दी थी.


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