नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण चल रहा है. जीएसटी से संबंधित सहायक विधेयकों को आज वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में पेश कर दिया है. अरूण जेटली ने सी-जीएसटी, आई-जीएसटी, यूटी-जीएसटी और मुआवजा कानून को आज लोकसभा में पेश कर दिया है. अब इन विधेयकों को राज्यसभा में रखा जाएगा. इससे सरकार को राज्यसभा में किसी तरह के संशोधन को लोकसभा में लाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा.


संसद का मौजूदा सत्र 12 अप्रैल को समाप्त हो रहा हैं सूत्रों के मुताबिक सरकार दोनों सदनों में चर्चा चाहती है. सरकार का इरादा जीएसटी को एक जुलाई से लागू करने का है.


 


जीएसटी लागू होने के बार उत्पाद, सेवा कर, वैट और अन्य स्थानीय शुल्क इसमें समाहित हो जाएंगे. राज्यसभा में आज वित्त मंत्री अरुण जेटली वित्त विधेयक भी पेश करेंगे, यह विधेयक लोकसभा से पास किया जा चुका है. इसके अलावा राज्यसभा में आज रेलवे मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा होगी.


क्या हैं सी-जीएसटी, आई-जीएसटी और यूटी-जीएसटी


सीजीएसटी में केंद्र सरकार की ओर से लगाए जाने वाले सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, स्पेशल एडिशनल कस्टम ड्यूटी, सेंट्रल सेल्स टैक्स के साथ कई तरह के सरचार्ज और सेस मिल जाएंगे.

एसजीएसटी में राज्य सरकारों की ओर से लगने वाले वैल्यू एडेड टैक्स यानी वैट, ऑक्ट्रॉय व इंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लग्जरी टैक्स, लॉटरी पर लगने वाले टैक्स और तमाम सेस और सरचार्ज मिल जाएंगे. वहीं दो राज्यों के बीच होने वाले कारोबार पर आईजीएसटी लगेगा.

क्या है जीएसटी

जीएसटी यानि गुड्स एंड सर्विस टैक्स के लागू होने से अब तक लगने वाले तमाम तरह के अलग-अलग कर ख़त्म हो जाएंगे और सिर्फ जीएसटी कर लागू होना है. जीएसटी लागू होने से चुंगी टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, राज्य स्तर के सेल्स टैक्स, या वैट, एंट्री टैक्स, स्टैंप ड्यूटी, टेलीकॉम लाइसेंस फीस, टर्नओवर टैक्स, बिजली के इस्तेमाल या बिक्री पर लगने वाले टैक्स, और सामान के ट्रांसपोर्टेशन पर लगने वाले टैक्स ख़त्म हो जाएंगे.

जीएसटी से क्या-क्या होगा बाहर

शराब पूरी तरह से जीएसटी से बाहर रहेगी, यानी इस पर टैक्स लगाने के लिए राज्य सरकारें स्वतंत्र होंगी.  पेट्रोल, डीजल, एलपीजी और रसोई गैस को भी फिलहाल जीएसटी से बाहर ऱखने का फैसला किया गया है. मतलब केंद्र और राज्य सरकारें दोनों मिलकर उस पर टैक्स लगाती रहेगी.

राजनीतिक सहमति बनाने के लिए केंद्र ने जहां राज्यों को जीएसटी लागू होने की सूरत में किसी भी तरह के नुकसान की पूरी-पूरी भरपाई पांच साल करने का प्रस्ताव दिया है, वहीं एक फीसदी के अतिरिक्त टैक्स का प्रस्ताव भी वापस ले लिया है.