अयोध्या/लखनऊ: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा एक बार फिर गरम हो गया है. कल यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी गोरखपुर में थे और अपनी बातों में उन्होंने भगवान राम का ज़िक्र कर ही दिया.  इसके लिए उन्होंने मुगल बादशाह अकबर और संत तुलसीदास की कहानी सुनाई.


सीएम योगी ने सुनाई अकबर-तुलसीदास की कहानी


यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी गोरखपुर में बाबा गंभीरनाथ की शताब्दी पुण्यतिथि समारोह में थे. कई अखाड़ों, मठों के साधु-संत वहां मौजूद थे तो ज़ाहिर है राम मंदिर का ज़िक्र होना ही था. आदित्यनाथ ने यहां अकबर और संत तुलसीदास की एक कहानी सुनाई.


इस कहानी के लिए जरिए आदित्यनाथ ने ये संकेत दे दिए कि उनके भी राजा रामचंद्र जी ही हैं. हालांकि जो बात आदित्यनाथ ने मंच पर अधूरी छोड़ दी उसे दिगंबर अखाड़ा के संत सुरेश दास ने पूरा किया.


आदित्यनाथ ने भगवान राम को अपना आदर्श बताया


सीएम बनने से पहले अपने चुनावी भाषणों में आदित्यनाथ राम मंदिर निर्माण को लेकर अपना रूख सबके सामने रख चुके हैं. आदित्यनाथ अब मुख्यमंत्री बन चुके हैं इसलिए जिम्मेदारियों का बोझ भी ज्यादा हो चुका है. वो ये बात बखूबी समझते भी हैं शायद इसीलिए उन्होंने अयोध्या जाने का कार्यक्रम रद्द कर दिया और संतों को बातचीत की जिम्मेदारी सौंप दी.


योगी सरकार म्यूजियम के लिए 25 एकड़ जमीन देगी


यानि राम मंदिर पर आदित्यनाथ योगी फिलहाल हर कदम सोच-समझ कर बढ़ाना चाहते हैं, हालांकि उन्होंने अयोध्या में रामायण म्यूज़ियम बनाने की ओर कदम ज़रूर बढ़ा दिए हैं. रामायण म्यूज़ियम के लिए अयोध्या में 25 एकड़ जमीन देने का फैसला किया है. केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाले 154 करोड़ के फंड से इस पर काम शुरू हो जाएगा.


राम मंदिर हमेशा से बीजेपी के मुख्य एजेंडे में शामिल रहा है. यूपी चुनाव के लिए बीजेपी ने जो संकल्प पत्र जारी किया उसमें भी राम मंदिर का ज़िक्र है. संकल्प पत्र के 20वें पन्ने पर लिखा है कि बीजेपी का उन मुद्दों पर स्पष्ट रुख है जो हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण से जुड़े हैं.


क्या है आयोध्या विवाद


अयोध्या विवाद देश की राजनीति को एक लंबे अरसे से प्रभावित करता रहा है. 1992 में विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद देशभर में हुए दंगों में 2000 लोग मारे गए थे. 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की विवादित स्थल पर पूजापाठ करने की अपील को ठुकरा दिया था.


30 जून 2009 को लिब्रहान आयोग ने 17 सालों के बाद अपनी रिपोर्ट तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह को सौंपी थी. लिब्रहान आयोग ने अटल बिहारी वाजपेयी और मीडिया को दोषी ठहराया, नरसिंह राव को क्लीन चिट दी. 24 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में कर तीनों पक्षों को देने को कहा था. अब पिछले 6 सालों से राम मंदिर मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में है.