नई दिल्ली: आज मोदी कैबिनेट का विस्तार होगा, इस विस्तार से ठीक पहले मोदी सरकार ने एक नए मंत्रालय का गठन किया. इसके साथ राष्ट्रपति ने एक साथ 8 राज्यपालों की नियुक्ति की. इनमें एक केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं. माना जा रहा है कि नए मंत्रियों के लिए ये कदम उठाया गया है. 


केंद्रीय मंत्री थावरचंद्र गहलोत को मंत्रिमंडल से हटाकर कर्नाटक का गवर्नर बनाया गया है. चर्चा है कि ऐसा ज्योतिरादित्य सिंधिया को जगह देने के लिए किया गया है . दरअसल थावरचंद्र गहलोत एमपी कोटे से मंत्री थे. 73 साल के थावरचंद्र 2014 से ही मोदी कैबिनेट का हिस्सा रहे. 


एमपी कोटे से नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते और थावरचंद्र गहलोत मोदी कैबिनेट का हिस्सा रहे. हालांकि अभी तक सिंधिया के प्रोफाइल के बारे में कोई जानकारी नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि उन्हें कोई अहम मंत्रालय दिया जा सकता है.


राज्यपाल का पद कैबिनेट मंत्री से वरीयता क्रम में कितना ऊपर है
राज्यपाल का पद एक संवैधानिक पद है, इस पर नियुक्ति सीधे भारत के राष्ट्रपति करते हैं और शपथ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दिलवाते हैं. राज्यपाल का दायित्व राज्य में संविधान की रक्षा का होता है. राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से दी गई जानकारी की बात करें तो वरीयता सूची के मुताबिक राज्यपाल का पद देश में चौथा सबसे बड़ा पद है. राज्यपाल से पहले वरीयता में सिर्फ राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ही आते हैं. राज्यपाल अपने प्रदेश का प्रथम नागरिक होता है.


वहीं कैबिनेट मंत्री की बात करें तो वरीयता सूचि में इसका नंबर सातवां हैं. इससे पहले राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, पूर्व राष्ट्रपति, उप प्रधानमंत्री (यदि है तो), देश के मुख्य न्यायधीश, लोकसभा स्पीकर आते हैं. वरीयता सूचि में कैबिनेट मंत्री और प्रदेश का मुख्यमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री, लोकसभा और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष एक ही स्तर पर हैं.



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