Terrorists Training: यह अलग बात है कि इस समय देश में आतंकी गतिविधियों पर काफी हद तक अंकुश लगा हुआ है. बावजूद इसके आतंकी संगठन पूरी तरह खत्म हो गए हों इस पर कोई दावा नहीं किया जा सकता है. इसका उदाहरण बेंगलुरु में हाल में ही पकड़े गए संदिग्ध आतंकी मॉड्यूल को देखकर लगाया जा सकता है.


सवाल यह उठ रहा है कि इनको आतंकी प्रशिक्षण कौन दे रहा है. जब यह बाहर से नहीं आए तो देश के अंदर इन्हें प्रशिक्षित कौन कर रहा है. कर्नाटक पुलिस के हवाले से हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में काफी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जिसने स्थानीय पुलिस के साथ देश की सुरक्षा एजेंसियों की भी चिंता बढ़ा दी है.


अपनाया है ट्रेनिंग का नया तरीका
कर्नाटक में 18 जुलाई को एक संदिग्ध आतंकी मॉड्यूल की गिरफ्तारी के बाद कई जानकारियां निकलकर आईं हैं. गिरफ्तार किए गए लोगों में सैयद सुहेल खान (24), मुहम्मद उमर (29), जाहिद तबरेज (25), सैयद मुदस्सिर पाशा (28) और मुहम्मद फैसल (30) शामिल थे. इन सभी पर आतंकी मॉड्यूल में शामिल होने का संदेह है. केंद्रीय अपराध शाखा (सीसीबी) ने इनके कनेक्शन जोड़ने की कोशिश की है.


इस संदिग्ध मॉड्यूल की ट्रेनिंग जेल में मिलने की जानकारी आई है. पुलिस के अनुसार छापेमारी के दौरान इन लोगों के पास काफी अहम सुबूत मिले हैं. 7 लोकल मेड पिस्टल, 45 राउंड कारतूस, वॉकी-टॉकी सेट, एक बड़ा चाकू और 12 मोबाइल मिले थे. इतना ही नहीं सीसीबी को एक संदिग्ध के घर से चार हैंडग्रेनेड भी मिले. पुलिस इनका ट्रेनिंग कनेक्शन ढूंढ़ने की कोशिश कर रही है.   


पुलिस ढूंढ़ रही है इस सवाल का जवाब
एचटी की रिपोर्ट के अनुसार विगत 19 नवंबर को मंगलुरू में ऑटो रिक्शा में हुए विस्फोट में ड्राइवर और एक यात्री जख्मी हो गए थे. इसे कर्नाटक पुलिस ने आतंकी गतिविधि के परीक्षण के रूप में लिया था. पुलिस का मामना था कि बड़ी वारदात के पहले इस विस्फोटक का ट्रायल लिया गया था. पुलिस को यह बात आज तक हैरान किए हुए है कि आरोपी, जो एक मोबाइल रिपेयरिंग मैकेनिक था, उसने बम बनाना कैसे सीखा.


इस विस्फोटक में पोटेशियम क्लोरेट का उपयोग किया गया था. यह विस्फोटक सामान्यतः माचिस और पटाखे बनाने में यूज किया जाता है. मोबाइल रिपेयरमैन ने दावा किया था कि उसने वीडियो देखकर देसी बम बनाना सीखा था. यह बात अधिकारियों के गले नहीं उतरी थी. इस आरोपी की पहचान मुहम्मद शारिक के रूप में हुई थी. कुछ समय बाद कर्नाटक पुलिस से यह जांच राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) ने ले ली थी.


अफसर पाशा का नाम आया था सामने
इसी दौरान नागपुर पुलिस ने हाल में ही एक खुलासा किया कि लश्कर-ए-तैयबा के एक संचालक अफसर पाशा ने मंगलुरु बम विस्फोट में शामिल आरोपियों को देसी बम बनाने की ट्रेनिंग दी थी. नागपुर पुलिस की पूछताछ के दौरान पाशा का हाथ होने की बात सामने आई थी. पाशा कर्नाटक की बेलगावी जेल में बंद था वहां से हिरासत में लेकर नागपुर पुलिस ने उससे पूछताछ की थी.


पाशा ने जेल में दिया था कुकर बम बनाने का प्रशिक्षण
पुलिस पूछताछ में जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार पाशा ने कर्नाटक की बेलगावी जेल में बंद रहने के दौरान आरोपियों को कुकर बम बनाना सिखाया था. वहीं खुद पाशा ने बांग्लादेश में बम बनाने की ट्रेनिंग ली थी. इतना ही नहीं उसने ढाका विस्फोट की साजिश भी रची थी. आतंकी गतिविधियों के लिए ही जेल में पाशा ने एक ग्रुप बनाया था. यह समूह अल्पसंख्यक समुदाय को भारत के खिलाफ आतंकी अभियानों के लिए प्रेरित और तैयार करता था.


पहले भी गिरफ्तार हो चुका है शारिक
शारिक को पहले भी मंगलुरु में संदिग्ध आतंकी गतिविधियों के तहत गिरफ्तार किया चुका था. इस मामले में उसके सहयोगी मुनीर अहमद को भी अरेस्ट किया गया था. हालांकि कर्नाटक पुलिस अभी तक नागपुर पुलिस के दावे के संबंध को स्थापित नहीं कर पाई है. यह भी अभी अनिश्चित है कि शारिक ने आतंकी गतिविधियों के सिलसिले में बेलगावी में समय बिताया था या नहीं. पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या उसका कभी वहां तबादला हुआ था.


कर्नाटक की जेलों में आतंकी गतिविधियां चिंता का विषय
बहरहाल इन सब जानकारियों के बाद कर्नाटक की जेलों को आतंकवादी गतिविधियों के लिए शिक्षा, प्रशिक्षण और भर्ती का अड्डा बनने के बाबत चिंता पैदा कर रही हैं. वहीं 18 जुलाई को एक संदिग्ध आतंकी मॉड्यूल की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने खुलासा किया कि मुख्य आरोपी मुहम्मद जुनैद ने हिरासत में लिए गए पांच व्यक्तियों को हथियार और विस्फोटक हासिल करने के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी थी. जांच के दौरान क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने बताया था कि जुनैद को तदियंतविडे नजीर से दिशानिर्देश प्राप्त हो रहा था. उसे टी. नजीर कहकर भी पुकारा जाता है.  


लश्कर-ए-तैयबा का दक्षिण भारत का कमांडर है नजीर
टी. नजीर को 2008 बेंगलुरु विस्फोट के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था. वह मूल रूप से केरल का निवासी है. इसके अलावा वह लश्कर-ए-तैयबा का दक्षिण भारत का कमांडर भी है. वहीं बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त बी. दयानंद का कहना है कि जेल में बंद हो चुके उक्त आरोपियों को कट्टरपंथी बनाने में नजीर का ही हाथ था. आतंकी संदिग्ध मॉड्यूल में जो आरोपी गिरफ्तार हुए हैं उन्हें पहले 2017 में आरटी नगर पुलिस ने नूर अहमद नाम के एक व्यवसायी के अपहरण और हत्या के आऱोप में अरेस्ट किया था.


पुलिस का मानना है कि उसी समय जेल में नजीर से उनकी मुलाकात और जान-पहचान हुई होगी. नजीर ने ही उन्हें वैचारिक रूप से हथियार उठाने और आतंकी बनने के लिए प्रेरित किया होगा. नजीर पिछले 13 साल से जेल में बंद है. यह पहला अवसर नहीं है जब उसने किसी को आतंकी बनने के प्रेरित किया. इसके पहले 2018-19 में भी उसने 20 युवाओं के एक ग्रुप में से कुछ को कट्टरपंथी बनाया था.    


जेल में पहले भी हो चुका है युवाओं का ब्रेनवाश
जेल के अंदर आतंक की ट्रेनिंग की यह कोई पहली वारदात नहीं है. इसके पहले 2011 में हत्या और डकैती आरोप में गिरफ्तार हुए अब्दुल रहमान को कथित तौर ब्रेनवाश करके कट्टरपंथी बनाया गया था. उस समय जेल में बंद दो आतंकी मुहम्मद फहद खोया (पाकिस्तानी) और अफसर पाशा ने रहमान को आतंक की राह दिखाई थी.


अफसर पाशा को 2005 में भारतीय विज्ञान संस्थान पर हमले के आरोप में गिरफ्तार किया था. ट्रेनिंग के बाद जब रहमान जेल से बाहर आया था तो उसने आतंकी मॉड्यूल तैयार किया था. इससे पहले वह कुछ कर पाता उसे अरेस्ट कर लिया गया. इस साल मार्च में उसके साथ एक अन्य को कट्टरपंथ का अदालत ने दोषी ठहराया.


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