TRS And BJP Tussle Over PSC Exam in Urdu: तेलंगाना में उर्दू में भर्ती परीक्षा आयोजित करने के मसले पर घमासान छिड़ गया है. तेलंगाना स्टेट पब्लिक सर्विस कमिशन (TSPSC) की ओर से उर्दू में भर्ती परीक्षा आयोजित करने के मुद्दे पर टीआरएस (TRS) और बीजेपी (BJP) के बीच राजनीतिक खींचतान शुरू हो गई है. टीआरएस ने तेलंगाना के बीजेपी सांसदों की उर्दू में परीक्षा आयोजित करने के लिए टीएसपीएससी (TSPSC) की आलोचना को लेकर कहा कि यह पहली बार नहीं है कि भर्ती परीक्षा उर्दू में आयोजित की जा रही थी और बताया कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) भी लंबे समय से उर्दू में परीक्षा आयोजित कर रहा था.
भर्ती परीक्षा उर्दू में आयोजित करने पर सियासी घमासान
टीआरएस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद बी. विनोद कुमार ने बुधवार को बीजेपी सांसदों बांदी संजय और डी. अरविंद की इस टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई कि इससे मुसलमानों को फायदा होगा और टीएसपीएससी (TSPSC) भर्ती परीक्षा में हिंदुओं की संभावना को नुकसान होगा. TRS के पूर्व सांसद ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 8 के अनुसार उम्मीदवारों को यूपीएससी और विभिन्न राज्यों के पीएससी द्वारा आयोजित उर्दू में परीक्षा लिखने की अनुमति है. तेलंगाना बीजेपी इस तरह बात कर रही है जैसे देश में उर्दू को इजाजत दी जा रही है. यहां तक कि अविभाजित आंध्र प्रदेश में भी भर्ती परीक्षाएं उर्दू में होती थीं.
बीजेपी सांसदों को संविधान की जानकारी नहीं- TRS
टीआरएस के वरिष्ठ नेता बी विनोद ने आगे कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बीजेपी सांसदों को संविधान के बारे में जानकारी नहीं है और उन्होंने इस मुद्दे को उठाकर तेलंगाना में युवाओं के बीच सांप्रदायिक भावनाओं को न भड़काने का आग्रह किया. बता दें कि हाल ही में, राज्य सरकार ने TSPSC की ग्रुप 1 परीक्षाओं में बैठने वाले उम्मीदवारों को अंग्रेजी और तेलुगु के अलावा उर्दू में उत्तर देने की अनुमति दी थी. टीआरएस नेता ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद बंदी संजय और निजामाबाद के सांसद धर्मपुरी अरविंद की तीखी आलोचना की.
बीजेपी का क्या है आरोप?
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद बंदी संजय और निजामाबाद के सांसद धर्मपुरी अरविंद ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव अपने वोट बैंक के लिए अल्पसंख्यक समुदाय के तुष्टीकरण की राजनीति में लिप्त हैं. बीजेपी सांसद का कहना है कि इससे पारदर्शिता में कमी आएगी और पक्षपात बढ़ेगा. बीजेपी नेताओं का कहना है कि अंग्रेजी और तेलुगु में लिखी गई ग्रुप -1 की परीक्षा को कोई भी हिंदू, मुस्लिम या ईसाई द्वारा जांच किया जा सकता है लेकिन उर्दू में लिखी गई परीक्षा को केवल एक मुसलमान ही जांच कर सकता है. इस तरह के कदम से 'पक्षपात' को बढ़ावा मिलेगा.
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