Telangana Politics: दक्षिण की राजनीति में 9 दिसंबर का दिन महत्वपूर्ण रूप से तब अंकित हो गया, जब तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने अपनी टीआरएस का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति कर दिया. इसे केसीआर के राष्ट्रीय राजनीति में जाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है .


निर्वाचन आयोग ने टीआरएस के नये नाम बीआरएस को मंजूरी दे दी है. क्षेत्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण दो दशक पुरानी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) को भारत राष्ट्र समिति (BRS) के रूप में नामित कर दिया गया, जिसका उद्देश्य केसीआर को एक राष्ट्रीय नेता के तौर पर स्थापित करना है. टीआरएस पार्टी 2001 में तेलंगाना राज्य बनाने के एजेंडे के साथ बनाई गई थी. अब बड़ा सवाल यह है कि क्या राष्ट्रीय राजनीति में सीएम केसीआर को स्थान मिलेगा या उनके नेतृत्व को उत्तर भारत सहित अन्य राज्यों में स्वीकार किया जाएगा.


क्यों यह कदम उठाया है? 
तेलंगाना के सीएम केसीआर का मानना ​​है कि कई कल्याणकारी योजनाओं के साथ महिलाओं, किसानों और उपेक्षित वर्ग का समर्थन हासिल कर उनकी पार्टी आगे भी सफलता मिल सकती है. कुछ प्रमुख योजनाएं है, जो कि तेलंगाना में चल रही है. 'रायथु बंधु' जो प्रत्येक किसान की प्रारंभिक निवेश आवश्यकताओं का ख्याल रखती है.


'दलित बंधु' जिसके तहत प्रत्येक अनुसूचित जाति परिवार को एक उपयुक्त आय अर्जक व्यवसाय स्थापित करने के लिए 10 लाख रुपये की एकमुश्त पूंजी सहायता प्रदान की जाती है. 'केसीआर किट- गर्भवती महिलाओं को अपनी और नवजात बच्चे की देखभाल के लिए 12,000 रुपये की सहायता और सभी गरीबों के लिए 'आसरा' पेंशन' है.  


टीआरएस का नाम बदलने और इसे राष्ट्रीय पार्टी के में बदलने के साथ ही केसीआर 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले विपक्षी राजनीति में स्थान पाने की संभावना भी तलाश रहे हैं. उनकी कोशिश देश भर के प्रमुख क्षेत्रीय दल एक ऐसा संयुक्त मोर्चा बनाने की है, जो बीजेपी का मुकाबला कर सके.  


कब बदली राजनीति
1980 के दशक के बाद क्षेत्रीय ताकतों के उदय के साथ देश की राजनीति बदल गई. समाजवादी पार्टी, बीएसपी, आरजेडी, जेडीयू और डीएमके सहित अन्य पार्टियां गठबंधन बनाकर या फिर दबाव समूह बनाकर राष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभा रही है. सीएम केसीआर का मानना है कि छोटे क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय स्तर पर खुद को प्रभावी ढंग से स्थापित नहीं कर पाए, लेकिन एक साथ मिलकर वो एक मजबूत विपक्ष की जगह ले सकते हैं. पार्टी का नाम भारत राष्ट्र समिति करने का फैसले का राष्ट्रीय स्तर पर फायदा मिलेगा या नहीं यह तो बाद में ही पता लगेगा.  



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